Stupid Car Features इंडिया में दो तरीके के कार बायर्स हैं एक तो वह जो शोरूम में जाते हैं और सेल्स पर्सन से सीधा बोलते हैं कि हमें टॉप वेरिएंट के प्राइस बता दो और दूसरे वह जो अपने पैसों को बहुत सोच समझकर कार पर लगाते हैं और नीचे से ऊपर तक हर एक वेरिएंट को देखते हैं ताकि उन्हें अपनी जरूरत के सारे फीचर्स भी मिल जाए और वह ज्यादा फालतू पैसा भी ना खर्च करें लेकिन इस एक्सरसाइज में अक्सर सेल्स पर्सन ना आपको ऐसे फीचर्स चिपका देते हैं जिनकी एक्चुअली में आपको नीड भी नहीं होती और आप उसको लेने के बाद और उसके लिए एक्स्ट्रा पैसे देने के बाद उन्हें कभी भी इस्तेमाल नहीं करते हैं तो इसी इसलिए हमने बनाया है ताकि आप जान सकें कि स्टेयरिंग एडजस्टमेंट से लेकर टीपीएमएस तक कौन से वो फीचर जरूरी हैं और कौन से नहीं है जो आपकी गाड़ी में होने चाहिए हमने इसके अंदर इंजन ट्रांसमिशन व्हील्स और स्ट्रक्चरल पार्ट्स को छोड़कर बाकी सभी फीचर्स के ऊपर फोकस किया है और इस को चार पार्ट्स में डिवाइड किया है यानी कि कॉकपिट सीट्स एंट्री एग्जिट एंड विंडोज एंड सेफ्टी के बारे मे बताया गया है | कि कौन से जो फीचर्स हैं वो बहुत ही ज्यादा जरूरी है कौन से थोड़े कम जरूरी हैं और आपके ऊपर आपको लेने हैं कि नहीं लेने और कौन से बिल्कुल भी जरूरी नहीं है तो चलिए अपनी इस कार के सबसे इंपोर्टेंट एरिया यानी कि कॉकपिट से चालू करते हैं कार कॉकपिट कार के कमांड सेंटर को बोला जा सकता है जहां पर ड्राइवर और को ड्राइवर बैठते हैं और जहां पर सारे के सारे कंट्रोल्स दिए गए होते हैं और इसीलिए हमने कॉकपिट वाले सेक्शन के अंदर डैशबोर्ड सेंटर कंसोल और डोर में जितने भी फीचर्स और कमांड्स बटन दिए गए होते हैं उन सभी को कवर किया है तो डैशबोर्ड से स्टार्ट करते हैं और उसमें भी सबसे पहले बात कर ले लेते हैं ड्राइवर इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर की जिसे एमआई भी बोला जाता है देखो पहले क्या होता था कि कार्स में ना जो ड्राइवर इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर होते थे वो सारे के सारे एनालॉग होते थे यानी कि हर चीज को इंडिकेट करने के लिए नीडल्स या फिर बैक लिट सिंबल्स का इस्तेमाल होता था लेकिन स्क्रीन्स के एवोल्यूशन के बाद से एनालॉग और डिजिटल दोनों ही तरीके के इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर्स आजकल इस्तेमाल होने लगे हैं गाड़ियों के अंदर अभी कार मेकर्स क्या कर रहे हैं कि वो अपने कार्स के बेस मॉडल्स के अंदर ना एनालॉग | ” इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर दे रहे हैं और जैसे-जैसे आप ऊपर के वेरिएंट्स की तरफ बढ़ते जाते हैं आपको डिजिटल इमेंट क्लस्टर्स देखने को मिल जाते हैं पर डेफिनेटली जैसे-जैसे आप ऊपर के मॉडल्स की तरफ जाते हैं आपको कई लाख रुपए एक्स्ट्रा खर्च करने भी पड़ते हैं तो क्या ये जो एनालॉग्स स्क्रीन की तरफ जो अपग्रेड है क्या ये वर्थ इट है वेल देखो मार्केट में आने वाली ज्यादातर कार्स के डिजिटल और एनालॉग क्लस्टर्स के अंदर बस इतना फर्क होता है कि ये जो डिजिटल क्लस्टर्स होते हैं ना इनमें एलईडी डिस्प्लेज मिल जाती हैं जिसमें आपको वही सारी वार्निंग्स और इंफॉर्मेशन मिलती है जो कि आपको एनालॉग क्लस्टर्स के अंदर भी मिल जाती है लेकिन कुछ कार ब्रांड्स हैं जो इन डिजिटल क्लस्टर्स को थोड़ा अच्छे से यूटिलाइज कर रहे हैं जैसे कि कई कार ब्रांड्स एमडी के अंदर ही मैप्स दे देते हैं टीपीएमएस की डिटेल्स दे देते हैं और जो 360 कैमरा और ब्लाइंड स्पॉट वगैरह होते हैं वो इसी के अंदर इंटीग्रेट कर दिए जाते हैं जैसे कि कार्स में हमें हेडसप डिस्प्ले भी देखने को मिल रही है जिसमें कि स्पीड और टर्न बाय टर्न नेविगेशन जैसी चीजें हमें कुछ देखने को मिल जाती हैं जो कि सीधा ग्लास के ऊपर प्रोजेक्ट करी जाती है मेरा मानना ये है कि ये जो फीचर है ना ये एकदम ही अननेसेसरी फीचर है क्योंकि ये जो इंफॉर्मेशन है ये ऑलरेडी हमें एमआई और इन्फोटेनमेंट स्क्रीन पर देखने को मिल जाती है तो इसको अलग से विंड स्क्रीन के ऊपर प्रोजेक्ट करने की क्या जरूरत है और वैसे भी कई ड्राइवर्स का मानना ये है कि ये जो हेडसेट डिस्प्ले होती है ना इसकी वजह से काफी ज्यादा डिस्ट्रक्शन भी होता है तो मेरे हिसाब से ये बिल्कुल ही अननेसेसरी फीचर है और आपको इससे बचना चाहिए अनलाइक हेडसप डिस्प्ले जो एक चीज बहुत ही ज्यादा इंपॉर्टेंट है वो है यूवी कट ग्लासेस जो कि विंड स्क्रीन पर और विंडोज पर मिलने चाहिए लेकिन अक्सर देखने में ये मिलता है कि कई सारी पुरानी गाड़ियों के अंदर और वैल्यू फॉर मनी कार्स में हमें ये देखने को नहीं मिलता है और ऐसे में आपके लिए ंस कार् के ब्लू सीरीज के ग्लासेस बहुत ही ज्यादा काम के साबित हो सकते हैं क्योंकि ये गारंटी देते हैं यूवी प्रोटेक्शन की लेंस कार्ड के ब्लू सीरीज के ग्लासेस सिर्फ ₹5000000 से स्टार्ट हो जाते हैं और ये यूवी रेस के अलावा आपकी आंखों को हार्मफुल ब्लू लाइट से भी बचाते हैं जो कि आपके फ्स लैपटॉप टैबलेट्स और गाड़ी की इन्फोटेनमेंट स्क्रीन तक से निकलती है ये ग्लासेस 90 पर तक ब्लू रे से प्रोटेक्शन देते हैं जिसकी वजह से हेडेक रिड्यूस होता है और आपकी आंखों पर स्ट्रेन नहीं पड़ता है साथ ही साथ ये क्लियर विजन ऑफर करते हैं और बहुत ही ज्यादा फ्लेक्सिबल और ड्यूरेबल भी है और हां अभी लेंस कार् में लेटेस्ट ऑफर चल रहा है जिसमें कि आपको कोई भी ग्लासेस 1200 में एक और 1700 में दो मिल जाएंगे स्टेयरिंग एडजस्टमेंट की मदद से आप अपने स्टेयरिंग को रीच और रे दोनों के लिए एडजस्ट कर सकते हैं ताकि आप अपने लिए एक मोस्ट कंफर्टेबल ड्राइविंग पोजीशन तैयार कर सके और अगर आपकी जो ड्राइविंग पोजीशन है वोह कंफर्टेबल होगी तो आपको लॉन्ग रूट्स पर थकान नहीं होगी और इसीलिए यह काफी ज्यादा इंपॉर्टेंट फीचर बन जाता है पर अनफॉर्चूनेटली कई सारे ब्रांड्स बेस मॉडल के अंदर इस फीचर को नहीं देते हैं और इसीलिए आपको वेरिएंट अपग्रेड करना ही पड़ता है क्रूज कंट्रोल किसी के लिए इंपॉर्टेंट हो सकता है और किसी के लिए नहीं और यह समझने के लिए हमें ड्राइवर की जो रनिंग है |
उसको समझना बहुत ज्यादा जरूरी है अगर आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जो लंबे हाईवेज पर ज्यादा ट्रैवल करते हैं तो डेफिनेटली क्रूज कंट्रोल आपके लिए काफी ज्यादा जरूरी हो सकता है क्योंकि इसकी वजह से आपको कंटीन्यूअसली एक्सलरेटर पे पैर एक ही कांस्टेंट स्पीड पे रखने की कोई भी जरूरत नहीं है लेकिन इसमें भी एक ट्विस्ट है और वो यह है कि ये जो क्रूज कंट्रोल है ना वो भारत के सिर्फ एक्सप्रेसवे पर ही ज्यादातर काम का साबित होता है वरना अगर आप इंडिया के पुराने हाईवेज पर गाड़ी चला रहे हैं तो आपके लिए कांस्टेंट स्पीड रखना ऑलमोस्ट नामुमकिन हो जाता है और इसीलिए ये वहां पर उतना ज्यादा काम का साबित नहीं होता है और अगर आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जिसकी गाड़ी सिर्फ सिटी में ही चलती है या ज्यादातर सिटी में चलती है तो इसका यूज आपके लिए और भी ज्यादा कम हो जाता है इसीलिए ये फीचर काम का तो है लेकिन सबके लिए नहीं है और बात करते हैं इन्फोटेनमेंट सिस्टम की देखो जस्ट लाइक एमडी इन्फोटेनमेंट सिस्टम भी जो होते हैं ना वो बेस मॉडल के अंदर बड़े ही बेसिक और बिना डिस्प्ले वाले मिलते हैं और जैसे ही आप थोड़े महंगे वेरिएंट्स की तरफ जाते हैं आपको डिजिटल डिस्प्ले वाले इन्फोटेनमेंट सिस्टम देखने को मिल जाते हैं है अब अनलाइक एडी इन्फोटेनमेंट सिस्टम के लिए मेरा मानना यह है कि आपको डिजिटल डिस्प्ले वाला इन्फोटेनमेंट सिस्टम ही ऑप्ट करना चाहिए और उसका सबसे बड़ा रीजन है नेविगेशन इन्फोटेनमेंट डिस्प्ले के अंदर नेविगेशन को देखना बहुत ही ज्यादा आसान हो जाता है और अगर यह आपकी गाड़ी के अंदर नहीं है तो आपको अपना फोन यूज़ करना पड़ता है फॉर नेविगेशन जो कि बहुत ज्यादा एसल वाली बात हो जाती है इन्फोटेनमेंट डिस्प्लेस नेविगेशन के अलावा गाड़ी के कई सारे फंक्शंस को ऑपरेट करने के लिए और बेटर मल्टीमीडिया एक्सपीरियंस के लिए भी काम आ सकती है लेकिन कार के इन्फोटेनमेंट सिस्टम को एग्जामिन करते टाइम ना आपको थोड़ा सा स्मार्ट बनना पड़ेगा क्योंकि कुछ कार मेकर्स ऐसे हैं जो डिजिटल इन्फोटेनमेंट सिस्टम के नाम पर सिर्फ एक डिजिटल डिस्प्ले वाला म्यूजिक सिस्टम लगा के दे देते हैं जिसमें ना तो नेविगेशन चलता है ना ही ए ऑट और apple’s जैसे कई सारी चीजों के लिए फिजिकल बटन होना बहुत ज्यादा जरूरी है क्योंकि ये जो फिजिकल बटंस होते हैं ना इनके साथ हमारी मसल मेमोरी बन जाती है और गाड़ी चलाते टाइम इनको ऑपरेट करने के लिए आपको इनकी तरफ बार-बार देखने की जरूरत नहीं होती है वहीं फुली डिजिटल इन्फोटेनमेंट सिस्टम के साथ ऐसा नहीं हो पाता है और इसीलिए डिजिटल डिस्प्लेस के अंदर सारे के सारे ऑपरेशंस दे देना काफी ज्यादा खतरनाक होता है और यह बात यूरो एंड कप ने भी कही है कि कार्स में फिजिकल बटंस का होना सेफ्टी के लिए बहुत ही जदा जरूरी है और अब से कार में इनफ बटंस ना देने पर गाड़ी की सेफ्टी रेटिंग्स भी काफी ज्यादा गिर सकती है यूरो एंड कैप के अंदर अब अगर मैं अपने पर्सनल बायस बताऊं या यानी कि मेरे हिसाब से कौन से ब्रांड्स परफेक्ट नंबर ऑफ बटंस और डिस्प्लेज का रेशो दे रहे हैं तो फिलहाल वो होंगे mahindra’s इसके बाद अगर हम नजर डालें सता है थोड़ा सा क्योंकि अगर वो डेडिकेटेड अलग-अलग बटंस देते हैं तो उसके मॉड्यूस बटंस का खर्चा और फिर उनकी वायरिंग का खर्चा होता है जो कि एक स्क्रीन की वजह से बच जाता है तो अब आप लोग समझ गए होंगे कि किस तरीके के इन्फोटेनमेंट की तरफ जाना चाहिए तो चलिए अब बात कर लेते हैं म्यूजिक सिस्टम की जो कि इन्फोटेनमेंट सिस्टम का य एक इंटीग्रल पार्ट होता है देखो म्यूजिक सिस्टम को लेकर लोगों के अपने-अपने विचार हो सकते हैं पर मैं अगर अपना बोलूं तो मुझे चलती हुई गाड़ी के अंदर गाने सुनना बहुत ही ज्यादा पसंद है और म्यूजिक ही एकलौता सोर्स होता है एंटरटेनमेंट का जो आप चलती गाड़ी गाड़ी के अंदर एंजॉय कर सकते हैं और ऐसे में मेरा पर्सनली मानना यह है कि एक अच्छे म्यूजिक सिस्टम में जरूर इन्वेस्ट करना चाहिए पर इसके लिए आपको वेरिएंट्स अपग्रेड करने की कोई भी जरूरत नहीं है आप आफ्टर मार्केट भी अच्छे स्पीकर्स लगा सकते हैं और इसके लिए जो खर्चा होता है वो बहुत ज्यादा नहीं होता है म्यूजिक सिस्टम के बाद हम बात कर लेते हैं कार के एसी की आजकल कार में दो तरीके के एसी आ रहे हैं पहला तो होता है मैनुअल एसी और दूसरा जो होता है वो होता है ऑटोमेटिक या फिर क्लाइमेट कंट्रोल वाला एसी मैनुअल एसी का मतलब यह होता है कि इन एसीज में ना टेंपरेचर कंट्रोल करने का कोई ऑप्शन नहीं होता यानी कि अगर आपको वो ज्यादा ठंड लग रही है तो आपको डायरेक्टली कंप्रेसर बंद करना पड़ेगा और जब फिर से गर्मी लगने लगे तो आपको डायरेक्टली एसी चालू करना पड़ेगा और यहीं पर काम में आता है क्लाइमेट कंट्रोल वाला एसी इन एसीज के अंदर आप टेंपरेचर को सेट कर सकते हैं बिल्कुल उसी तरीके से जिस तरीके से आप अपने घर के अंदर कर सकते हैं और बिल्कुल आपके घर के एसी की तरह ही जब कार के अंदर का टेंपरेचर डिजायर्ड फिगर तक पहुंच जाता है तो एसी अपने आप को खुद से ट्रिप कर लेता है और जैसे ही ये टेंपरेचर बढ़ने लगता है यह फिर से अपने आप को चला लेता है देखो वैसे तो मैं पर्सनली क्लाइमेट कंट्रोल वाला एसी ही प्रेफर करूंगा अगर इससे वेरिएंट की प्राइस में बहुत ज्यादा फर्क नहीं आ रहा है तो लेकिन आप मैनुअल एसी को भी ऑप्ट कर सकते हैं क्योंकि बहुत ज्यादा छेड़छाड़ नहीं करनी पड़ती है एसीज के साथ चलिए अब थोड़ा ऊपर को चलते हैं और आई आरवीएम की बात कर लेते हैं रात के वक्त इंडिया की सड़कों पर कई सारे लोग हाई बीम चलाकर गाड़ी चलाते हैं जिसकी वजह से उस हाई बीम का जो ग्लेयर है ना वो आईआरएम के थ्रू आपकी आंखों पर पड़ सकता है और आपको डिस्ट्रक्शन हो सकता है गाड़ी चलाने में और इसीलिए कार बैंड्स आपको आई आरवीएम के अंदर डिमिंग का ऑप्शन देते हैं अब जो ज्यादातर वैल्यू फॉर मनी कार्स होती हैं और जो लोअर वेरिएंट्स होते हैं कार्स के उनके अंदर आपको मैनुअली ऑपरेटिंग आईआरएम मिल मिलते हैं जिसमें कि आपको बटन दबाकर कार के आईआरएम को डिम करना पड़ता है वहीं जो ऊपर के वेरिएंट्स होते हैं उनके अंदर आपको इलेक्ट्रो कमिक आई आरवीएम मिल जाते हैं इन आई आरवीएम में क्या होता है कि जैसे ही इनके ऊपर लाइट पड़ती है ना यह अपने आप को खुद से डिम कर लेते हैं जिसकी वजह से आपको बार-बार मिरर एडजस्ट करने की कोई भी जरूरत नहीं होती है और इसीलिए मेरा मानना यह है कि यह जो पर्टिकुलर फीचर है ना यह बहुत ही ज्यादा इंपॉर्टेंट है आपके लिए और एक अच्छी बात यह है कि इसके लिए आपको वेरिएंट को अपग्रेड करने की जरूरत नहीं है आप इसको आराम से आफ्टर मार्केट भी खरीद कर लगा सकते हैं यह जो सनरूफ है ना ये इंडियंस को इतनी ज्यादा पसंद है कि इसकी वजह से लोग अपनी गाड़ियों की चॉइस तक बदल डालते हैं लेकिन क्या हमें सनरूफ की जरूरत भी है देखो भारत एक गर्म देश है और अगर आप गर्मियों में सनरूफ का इस्तेमाल करते हैं ना तो आपके एसी को बहुत ही ज्यादा काम करना पड़ेगा गाड़ी को ठंडा करने के लिए और शायद तब भी ना हो और अक्सर ये भी देखने को मिलता है कि बंद सनरूफ में से भी गर्मी आती रहती है गाड़ी के अंदर क्योंकि ये जो सनरूफ का कवर होता है ना ये इतना ज्यादा थिक नहीं होता है जितनी आपकी गाड़ी की रूफ होती है तो इसीलिए जो सनरूफ होती है ना ये आपकी काम की सिर्फ दो-तीन महीने के लिए ही साबित होती हैं जब इंडिया के अंदर सर्दियां होती होती है और ऐसे में ये जो सनरूफ हैं ये लार्जली अनयूजेबल हो जाती है इंडिया के एनवायरमेंट के हिसाब से इसके अलावा ये जो बड़ी वाली सनरूफ होती है यानी कि पैनोरमिक जो सनरूफ होती हैं ये तो एक्चुअली में आपके लिए सेफ्टी हजार्ड है ये आपकी सेफ्टी के लिए खतरनाक साबित होती है और इंडिया में पिछले कुछ टाइम में देखने को मिला है कि कुछ एक्सीडेंट्स ऐसे हुए हैं जिनमें लोगों की मौत हो गई है और उसका रीजन पैनोरमिक सनरूफ रहा है पैनोरमिक सनरूफ से जुड़ी सेफ्टी का ये जो टॉपिक है ना ये अपने आप में ही बहुत ज्यादा बड़ा है और बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट भी है इसीलिए मैं इसके लिए एक अलग से वीडियो बनाने वाला हूं पर तब तक आप यह समझ लीजिए कि अगर आपको अपनी सनरूफ में से बच्चे बाहर निकाल कर सुखाने नहीं है तो सनरूफ आपके किसी भी काम की नहीं है रियर डी फॉगर का काम होता है पिछले ग्लास पर जमी फॉक को हटाना और रियर वाइपर का काम होता है बारिश या डस्ट की वजह से गंदे हुए ग्लास को साफ करना ये दोनों ही फीचर इंडियन कंडीशंस के हिसाब से बहुत ज्यादा जरूरी है क्योंकि हमारे देश में धूल बहुत ज्यादा उड़ती है और फॉग भी बहुत ज्यादा होता है सर्दियों के टाइम पे और इसीलिए मेरा मानना ये है कि कार मेकर्स को बेस मॉडल से ही इन फीचर्स को देना चाहिए लेकिन अफसोस हम इंडियंस की प्रायोरिटी लिस्ट पे ये है ही नहीं और इसीलिए कार मेकर्स भी ये नहीं देते हैं पर डेफिनेटली ये फीचर इंपॉर्टेंट है और इसकी वजह से अगर आपको गाड़ी के थोड़े बहुत मॉडल्स अपग्रेड भी करने पड़ रहे हैं थोड़े बहुत ऊपर वेरिएंट पे भी जाना पड़ रहा है तो जाना चाहिए अब हमने कॉकपिट से जुड़े हुए सारे फीचर्स कवर कर लिए हैं तो अब हम मूव करते हैं अपने दूसरे सेक्शन यानी कि सीट्स पर कार की सीट्स का मटेरियल उनकी क्वालिटी और कुछ फीचर्स उनको बहुत ज्यादा कंफर्टेबल और बहुत ज्यादा अनकंफर्ट बल बना सकते हैं जैसे कि अगर हम सबसे पहले सीट्स के मटेरियल की बात करें तो फैब्रिक और लेदरेट दोनों ही मटेरियल में सीट्स अवेलेबल है और दोनों ही काफी ज्यादा अच्छी होती हैं लेदरेट वाली जो सीट्स होती हैं वो अपर मॉडल में मिलती हैं और लेदरेट सीड्स के लिए फालतू पैसे देने की जरूरत तभी है आपको अगर वो परफोरेटेड हो क्योंकि अगर ये लेदर वाली सीड्स परफोरेटेड नहीं होंगी यानी कि अगर उनमें छोटे-छोटे छेद नहीं होंगे तो आपकी जो स्किन है ना वो सांस नहीं ले पाएगी और आपको बहुत ज्यादा गर्मी लगेगी पीठ पर खासकर तो लेदर वाली सीट्स पर आप तभी मूव करिए अगर आपको ब्रांड परफोरेटेड सीट्स कवर दे रहा है नहीं तो आप फैब्रिक वाली सीट्स को ही ऑप्ट [संगीत] करिए ये फीचर इंडियन समर्स के लिए बहुत ही ज्यादा इंपोर्टेंट है और मेरे ख्याल में कार मेकर्स को सनरूफ देने के बजाय निचले मॉडल से ही वेंटिलेटेड सीट्स का ऑप्शन दे देना चाहिए चाए पर अफसोस आपको यह फीचर अक्सर टॉप एंड मॉडल में ही देखने को मिलता है यानी कि हो सकता है सिर्फ इस एक फीचर की वजह से आपको अपना बजट बहुत ही ज्यादा बढ़ाना पड़ जाए तो इसीलिए वेंटिलेटेड सीट्स तभी बहुत ज्यादा काम की है अगर आप ऑलरेडी बाकी फीचर्स की वजह से गाड़ी के अपर मॉडल की तरफ जा रहे हैं नहीं तो आप फैब्रिक वाली सीट्स को ही ऑप्ट करिए यह भी काफी अच्छा खासा वेंटिलेशन दे देती है भारत में बिकने वाली कार्स में आगे वाली सीट्स पर तो प्रॉपर हेड रेस दे दिए जाते हैं लेकिन रियर में भी एडजस्ट बल हेड रेस दिए जाने चाहिए क्योंकि ये एक बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट सेफ्टी फीचर है क्योंकि जब गाड़ी का पीछे की तरफ से एक्सीडेंट होता है तो ये सीट्स के हेड रेस्ट आपके पैसेंजर को विप लश इंजरी से बचाते हैं यानी कि गर्दन टूटने तक से बचाते हैं तो इसी लिए सभी पैसेंजर्स के लिए एडजस्ट बल हेड रेस्ट काफी ज्यादा इंपॉर्टेंट है पर अफसोस कार ब्रांड जो इंडिया में ऑपरेट कर रहे हैं वो बहुत ही रेयरली ऐसा करते हैं कि वो सभी पैसेंजर्स को एडजस्ट बल हेड ड्रेस से जैसे कि इस फोर्थ जनरेशन रेस्ट मिलते हैं इस मामले में मैंने नोटिस कराया कि mahindra-ecat सभी को बस जेब में रखना है और अपना हाथ हैंडल के अंदर डालना है और डोर अपने आप ही अनलॉक हो जाएगा मेरा पर्सनली मानना यह है कि ये जो कीलेस एंट्री है ना यह हल्की-फुल्की कन्वीनियंस ऐड कर देती है लेकिन अगर हम सिक्योरिटी पॉइंट ऑफ व्यू से बात करें तो कीलेस एंट्री में भी कोई खास बेनिफिट नहीं मिलता है क्योंकि अगर चोर के हाथ आपकी चाबी लग गई तो वैसे भी वो गाड़ी को चुरा लेगा इसीलिए मेरे हिसाब से सेंटर लॉकिंग वाले जो की फॉबस होते हैं ना वो बेस्ट होते हैं और कीलेस एंट्री के लिए आपको एक्स्ट्रा पैसे देने की कोई भी खास जरूरत नहीं है एंटी पिंच विंडोज आर इंपोर्टेंट क्योंकि अक्सर बच्चे अपना हाथ विंडो के ग्लास के बीच में डाल देते हैं और उनका हाथ दब जाता है जिससे उनको इंजरी हो सकती है वहीं अगर ऐसा एंटी पिंच विंडो के साथ किया जाए तो जो विंडो है वो आपके हाथ को हर्ट नहीं करती है और वो अपने आप ही नीचे आ जाती है अंदर बैठे-बैठे मिरर को एडजस्ट करना बहुत ही ज्यादा काम का फीचर है और वो डेफिनेटली हर एक कार में होना ही चाहिए पर अगर हम ऑटो फोल्डिंग मिरर की बात करें तो वो थोड़ा लोगों को गिमी की फीचर लग सकता है पर मैं आपको बता दूं ये एक्चुअली में एक काम का फीचर है अक्सर हमारे देश में हम अपनी कार के साथ तंग गलियों में फंस जाते हैं और ऐसे में हमें ड़ी के अंदर बैठे-बैठे ही अपने मिरर्स को बंद करना “Stupid” Car Features! पड़ता है ताकि आपकी कार आराम से उस तंग जगह से निकल पाए और यहीं पर जो ऑटो फोल्डिंग मिरर्स होते हैं ना आपके बहुत ज्यादा काम आते हैं लेकिन काम के होने के बावजूद भी मेरा मानना यह है कि ये अकेला रीजन नहीं हो सकता है एक मॉडल को अपग्रेड करने का थोड़ा बहुत इनकन्वीनियंस होगी लेकिन आप अपना हाथ बाहर निकाल कर भी बंद कर लोगे तो यह हम ग्रे एरिया में डाल देते हैं चलिए अब हम अपने लास्ट सेक्शन की तरफ बढ़ते हैं और मोस्ट इंपॉर्टेंट यानी कि सेफ्टी देखो कार्स में जितने सेफ्टी फीचर्स हो उतना कम है मेरा मान्यव यही है गाड़ी में छह एयरबैग्स होने चाहिए ईसप एबीएस ईबडी हिल होल्ड असिस्ट जैसे सभी के सभी फीचर्स होने ही चाहिए और साथ ही साथ जो गाड़ी का बॉडी स्ट्रक्चर है वो भी बहुत ज्यादा मजबूत होना चाहिए और ये सब चीजें आप लोग भी जानते हो इसीलिए मेरे को बताने की जरूरत नहीं है इसीलिए इस वाले सेगमेंट में मैं अपना थोड़ा सा अलग पर्सपेक्टिव दूंगा और कुछ ऐसे फीचर्स की बात करूंगा जो आप फालतू में ले रहे हो और कुछ ऐसे फीचर्स की बात करूंगा जो बहुत ही ज्यादा अंडर रेटेड है और जो आपको लेने चाहिए आपकी सेफ्टी में बहुत ज्यादा काम के साबित होंगे जैसे कि सबसे पहले हम बात कर लेते हैं की एडस एक ऐसा फीचर है जो इंडिया में बिकने वाली गाड़ियों के सिर्फ टॉप मॉडल में मिलता है ज्यादातर और ऐसे में मेरा मानना यह है कि आपको सिर्फ इसके लिए 7 8 लाख रप फालतू खर्च करने की कोई भी जरूरत नहीं है स्पेशली इंडिया के अंदर जहां पर लोग अपने एडस को बंद करके चला रहे हैं क्योंकि वो बहुत ज्यादा इंट्रूसिव होता है तो फायदा क्या हुआ लेने का है ना तो अगर आप बाकी फीचर्स की वजह से टॉप मॉडल ले रहे हैं तो एडस वैसे ही मिल जाएगा आपको लेकिन स्पेशली सिर्फ एडस के लिए इंडिया के अंदर अभी आपको बहुत ज्यादा जरूरत नहीं है बहुत ज्यादा पैसे खर्च करने की 360 कैमरा अगेन एक ऐसा फीचर है जिसकी ज्यादातर कार्स को नीड ही नहीं है छोटी गाड़ियों में क्या जरूरत है 360 कैमरा की हां अगर आप एक [संगीत] ड कम एक ऐसा सेफ्टी फीचर जिसकी कोई बात ही नहीं करता है लेकिन यह सेफ्टी के लिहाज से बहुत ही ज्यादा इंपॉर्टेंट होता है क्योंकि अगर आपकी गाड़ी के साथ कुछ भी गलत होता है उसका एक्सीडेंट वगैरह होता है तो आप टश कम से निकली हुई वीडियो को पुलिस को दिखा सकते हैं और इसकी वजह से इंश्योरेंस क्लेम लेना भी बहुत ही ज्यादा आसान हो जाता है अब अगर वैसे हम ई के हिसाब से बात करें तो hyundai’s कैम लगा के देंगे तो इन्फोटेनमेंट डिस्प्ले के साथ इसका जो इंटीग्रेशन है वो बहुत ज्यादा आसान हो जाता है पर अगर आपके पास कोई भी गाड़ी है उसमें डैश कैम नहीं है तो मैं पर्सनली आपको सजेस्ट करूंगा कि डैश कैम तो जरूर लगवा लो क्योंकि एज आई सेड सेफ्टी के लिए बहुत ही ज्यादा इंपॉर्टेंट है ये तो इंपॉर्टेंट फीचर है मेरा मानना ये है टीपीएमएस अगेन एक ऐसा फीचर है जो कि बहुत ज्यादा अंडररेटेड है और इसके बारे में बात नहीं करी जाती है पर ये एक बहुत ही ज्यादा इंपोर्टेंट फीचर है आपकी सेफ्टी के लिए क्योंकि टीपीएमएस यानी कि टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम आपको बताता है कि आपके टायर में कितना ज्यादा प्रेशर है हो सकता है| Stupid Car Features.