
How India’s UPI is Replacing VISA in Foreign Countries
How India’s UPI is Replacing VISA in Foreign Countries रियल टाइम डिजिटल पेमेंट में से 40% भागीदारी भारत की दुनिया में है रियल टाइम पेमेंट्स को फैसिलिटेट करने वाला हमारा यूपीआई अब ओमान ,यूएई ,बहरेन, कतर और ऐसे ही 35 से 40 देशों में भी घुसने के बाद अब फाइनली इस गल्फ रीजन के मेजर प्लेयर सऊदी अरेबिया में भी एंटर करने वाला है| एक्सपर्ट्स का तो यह भी दावा है India’s UPI is Replacing VISA in Foreign Countries कि वो बहुत ही जल्द यूएस डोमिनेटेड सिस्टम को भी रिप्लेस कर देगा क्योंकि अब जब इन देशों से लोग इंडिया में पैसे भेजेंगे तब हर साल इंडिया करीब 8 बिलियन डॉलर्स अपने बचाएगा और यह इतना पैसा है कि पाकिस्तान को आईएमएफ से बेल आउट पैकेज भी इससे कम मिलता है और| क्योंकि इंडिया के मेजर एनआरआई इन गल्फ कंट्रीज में ही बसते हैं और वहां की टोटल पपुलेशन यानी 58.2 मिलियन में से सिर्फ इंडियंस ही करीब 13.4 मिलियन है इसका मतलब वहां पर हर चार लोगों में एक इंडियन है और ऐसे में क्या आपको पता है इंडिया में आने वाले टोटल रेमिटेंस में से करीब 65% रेमिटेंस अकेले इन गल्फ कंट्रीज से ही आता है लेकिन यूपीआई के आने के पहले इन एनआरआईस के पास पैसे भेजने के लिए यूजुअली बस दो ही तरीके हुआ करते थे पहला तरीका क्लासिकल कन्वेंशनल बैंक मेथड जिसमें वीजा मास्टर कार्ड और वेस्टर्न यूनियन जैसी कार्ड कंपनीज़ के मीडिएशन की वजह से सऊदी के बैंक्स करीब 6% का तगड़ा ट्रांजैक्शन फीस चार्ज किया करते हैं|

- दूसरा तरीका जो एनआरआई के पास है वो है एजेंट्स लेकिन उसमें भी कई एजेंट्स चार्ज करते हैं सो अंदाजन एवरेज चार्ज कुछ 10% है यानी कि आप वहां पर साल भर में जितना भी कमाते हो उसमें से रफली आपको एक महीने की सैलरी तो सिर्फ ट्रांजैक्शन चार्ज के रूप में ही भरना पड़ेगा और इसी लूप होल के वजह से होने वाले लॉसेस को रिकवर करने के लिए इंडिया ने सऊदी में यूपीआई को इंट्रोड्यूस करके एक मास्टर मूव खेला है यूपीआई को लाकर हमने मेजरली दो जगहों पर चेंजेस ला पाये, पहला है चार्जेस जहां पर कार्ड सिस्टम डोमिनेटेड बैंक्स और एजेंट्स इतने हैफ्टी चार्जेस लगा रहे थे वहीं पर अब यूपीआई से ट्रांजैक्शन करने पर सिर्फ नॉमिनल फीस अमाउंट का सिर्फ 2.04% ही अप्लाई होगा इससे बिज़नेसेस के पास काफी पैसे बचेंगे अब यहां पर ,दूसरा है टाइम बैंक्स और एजेंट्स ज्यादा पैसे तो ले ही लेते थे लेकिन उन्हें टाइम भी उतना ही ज्यादा लगता था ऑलमोस्ट एक दिन से ज्यादा का समय बट अब यूपीआई आने से यह ट्रांजैक्शंस कुछ ही घंटों में पूरे भी हो जाएंगे और तो और इन सारे फैसिलिटीज के साथ कैश लिमिट भी 2 लाख तक रखी गई है यानी कि किसी भी इमरजेंसी में एनआरआई अपने फैमिली या फ्रेंड्स को हेल्प भी कर पाएंगे |
- सबसे पहले तो सेंडर क्यूआर स्कैन करके पैसे भेजता है नंबर टू जिसके बाद उस सेंडर का ऐप अपने पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर के सर्वर पर सेंडर के क्रेडेंशियल्स को ऑथेंटिकेट करता है इसके बाद नंबर थ्री इस ट्रांजैक्शन डिटेल्स का कंफर्मेशन लेकर उस बैंक को कहता है कि सेंडर के अकाउंट से इतने इतने पैसे डिडक्ट कर, बैंक इस प्रोसेस को कंफर्मेशन उसी पीएसपी को वापस भेजती है एंड नंबर फाइव कंफर्मेशन आते ही वो पीएसपी रिसीवर के बैंक अकाउंट को वेरीफाई करके उसमें पैसे क्रेडिट या फिर ऐड करने के लिए कह देता है और फिर उस बैंक से इस प्रोसेस की कंफर्मेशन आती है एंड फाइनली इस पूरे ट्रांजैक्शन का कंफर्मेशन रिसीवर और सेंडर के यूपीआई इनेबल्ड एप्स पर चले जाता है यह सारा प्रोसेस बस कुछ ही सेकंड्स में हो जाता है जो बाय द वे आप भी डेली बेसिस पर एक्सपीरियंस करते होंगे अगर आप यूपीआई यूज़ करते हो तो लेकिन इतना क्विक ट्रांजैक्शन करना यह अकेला रीजन नहीं है जिसके लिए लोग इसे प्रेफर करते हैं| फिडेलिटी नेशनल नाम की एक रेटिंग एजेंसी ने यूपीआई को ग्लोबल ट्रांजैक्शंस में फर्स्ट रैंक दिया है|
- क्योंकि India’s UPI is Replacing VISA in Foreign Countries यूपीआई से पैसे सेंड करना इसकी यूजबिलिटी और यूजर फ्रेंडलीनेस इतनी ज्यादा है कि किसी को पैसे ट्रांसफर करने के लिए टेक्नोलॉजिकली एडवांस होना कोई जरूरी नहीं है प्लस यूपीआई ने राउंड द क्लॉक अवेलेबिलिटी स्पीड ऑफ सेटलमेंट एंड लेवल ऑफ सपोर्ट रिसीव्ड फ्रॉम द रेगुलेटर इन सभी में फाइव आउट ऑफ फाइव स्कोर किया है इन कंपैरिजन चाइनीस डिजिटल ट्रांजैक्शन इंटरफेस का इन क्राइटेरिया में स्कोर सिर्फ टू आउट ऑफ फाइव रहा है सो या डेफिनेटली ये स्कोर हमें काफी प्राउड तो फील करवाता है बट इस स्कोर में एक दिक्कत है इंडिया के बाद चाइना दूसरा सबसे हाईएस्ट नंबर ऑफ ट्रांजैक्शंस करने वाला देश है लेकिन अनलाइक इंडिया यहां पर मास्टर कार्ड और वीजा जैसे यूएस बेस्ड कार्ड कंपनीज़ का पेनिट्रेशन चाइना ने रोक रखा है इसी बीच यूएस बेस्ड फिडेलिटी नेशनल द्वारा चाइनीस पेमेंट सिस्टम्स का पुअर कस्टमर वैल्यू के नाम पर मार्क्स काटना थोड़ा सा मुसकिल है एंड दिस मेक्स मी थिंग कि जिस तरह UPI अब ग्लोबली VISA और Master Card की डुओपली को चैलेंज करेगा यूपीआई मास्टर कार्ड, वीजा और वेस्टर्न यूनियन|
- कार्ड कंपनीज़ बेसिकली क्या है ये एक तरह के मीडिएटर्स ही तो है बेसिकली पहले ऐसे होता था कि अगर दो बैंक्स के बीच कोई ट्रांजैक्शन करना होता था तो डोनर बैंक को रिसीवर बैंक के उस पर्टिकुलर कस्टमर के डिटेल्स लेने पड़ते थे अब ये डिटेल्स अगर उस बैंक ने शेयर किए तो हो सकता है कि डोनर बैंक की मार्केटिंग टीम उस कस्टमर को अपनी ओवरल्योर कर ले और बस फिर इसी ट्रस्ट इशूज़ के चलते क्रॉस बैंक ट्रांजैक्शंस काफी इश्यूज फेस किया करते हैं इसे टैकल करने के लिए फिर एस्टैब्लिश हुए वीजा और मास्टर कार्ड जैसे कार्ड कंपनीज़ इन्होंने बैंक्स को कहा कि देखो एक काम करते हैं आप अपने डिटेल्स हमसे शेयर करो और हम वेरीफाई करेंगे कि किस बैंक के किस कस्टमर से पैसे लेने हैं और किस बैंक के किस कस्टमर को देने हैं यानी सिंपली हम बीच में एक मिडिल मैन बनकर सारे ट्रांजैक्शंस की सेटलमेंट को वेरीफाई करें यूपीआई की वजह से आज इंडिया ने डिजिटल ट्रांजैक्शंस में एक बहुत ही बड़ा जंप मार लिया है लेकिन अब क्योंकि इन ट्रांजैक्शंस का ज्यादातर काम यूपीआई के थ्रू होता है मास्टर कार्ड और वीजा यूपीआई के शुरुआती समय से ही उसका भारी विरोध कर रहे थे जैसे कि मैंने पहले कहा यह दोनों ही कंपनीज़ मोस्टली ग्लोबल लेवल पर ट्रांजैक्शंस का सेटलमेंट करते हैं बट देन अप्रैल 2012 में इन कंपनीज़ द्वारा हुए ग्लोबल सिक्योरिटी डेटाबेस लीक में करीब 1 करोड़ अकाउंट्स के क्रेडिट कार्ड इंफॉर्मेशन लीक हो गए थे और अभी करेंटली भी रशिया यूक्रेन वॉर की वजह से यूएसए ने रशिया में अपने वीजा और मास्टर कार्ड सर्विसेस को पूरी तरीके से बंद करवा दिया सो इसे हम क्या समझे कि इन कंपनीज़ को यूएसए वेपंस की तरह इस्तेमाल करेगा और एनी टाइम दूसरे कंट्रीज की इन पर डिपेंडेंसी को अपने फेवर में लेवरेज कर सकता है सो ये बिल्कुल ही क्लियर था कि यूएसए के भरोसे पर पूरी तरीके से अपने बैंकिंग सिस्टम को इन पर बेस करना खतरे से खाली नहीं है और इसीलिए सबसे पहले 2014 में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ने एक RuPay नाम का एक होममेड कार्ड प्रमोट करना शुरू कर दिया यह कार्ड आपने भी देखा होगा काफी फेमस हुआ था आज के तारीख में भी काफी लोग इसे यूज करते हैं और यह इसीलिए जरूरी था क्योंकि आपको अगर पता होगा यूपीआई के शुरुआती दिनों में यूपीआई से जुड़े एप्स को यूज करने के लिए आपको डेबिट या क्रेडिट कार्ड की जरूरत पड़ती थी अब ऐसे में हर कोई वीजा या मास्टर कार्ड की इयरली फीस को अफोर्ड नहीं कर सकता था |
- जिससे यूपीआई और ज्यादा लोगों तक पहुंच पाया एंड दिस वास वेरी सक्सेसफुल क्योंकि यूपीआई से पहले वीजा का इंडिया में मार्केट शेयर 60% था मास्टर कार्ड का दूसरी तरफ 30% और अमेरिकन एक्सप्रेस का 8.5% बट 2019 तक अब RuPay और यूपीआई का शेयर करीब 58% तक पहुंच गया है और अब कई लोगों के लिए उनका मोबाइल ही उनका वॉलेट बन गया है इनफैक्ट सिर्फ इसी से ही गवर्नमेंट हर साल करीब ₹5700 करोड़ बचाती है जो खराब नोट्स को रिप्लेस करने में खर्च होते हैं अब इसके विरोध में वीजा ने अपनी होम कंट्री यूएस में इंडिया के अगेंस्ट कंप्लेन भी कर दिया है उनका कहना था कि इंडिया में वहां की गवर्नमेंट अपने सिस्टम को बहुत ज्यादा सपोर्ट कर रही है पार्शियल हो रही है उसको लेकर अब ऐसी सिमिलर सिचुएशन इंडोनेशिया में तब आई थी जब उनकी डोमिनेंस खतरे में थी तब उन्होंने यूनाइटेड स्टेट्स ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव यानी कि यूएस की एनपीसीआई के इक्विवेलेंट को मेल्स लिखकर प्रेशराइज किया था कि वो इंडोनेशियन गवर्नमेंट्स को प्रेशराइज करें और वीजा और मास्टर कार्ड के लिए फेवरेबल कंडीशंस बनाए बेसिकली यहां पर इंडोनेशियन गवर्नमेंट ये चाहती थी कि जितने भी फॉरेन पेमेंट सिस्टम्स हैं वो अपना डाटा लोकली ही स्टोर करें लेकिन ऐसा करने के लिए वीजा और मास्टर कार्ड को इंडोनेशिया में और हैवी इन्वेस्टमेंट्स करने पड़ते और इसीलिए उन्होंने यूएस की हेल्प से इंडोनेशियन गवर्नमेंट को प्रेशराइज किया जिसकी वजह से वीजा और मास्टर कार्ड ने आज तक वहां कोई डाटा स्टोरेज फैसिलिटी ही नहीं बनाई खैर ओवरऑल फॉरेन कंट्रीज में यूपीआई के इंट्रोडक्शन से जितना फायदा लोगों का होगा उतना ही फायदा गवर्नमेंट को भी होगा |
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