
एक टेलीकाॅम लीडर की संघर्षपूर्ण सफलता की कहानी
अगर किसी व्यक्ति को असली प्रेरणा की ज़रूरत हो, तो उसे सुनील मित्तल की कहानी जरूर पढ़नी चाहिए। यह एक ऐसे युवा की कहानी है जिसने सपनों को सिर्फ देखा नहीं, बल्कि उन्हें जीकर दिखाया। जब देश में दूरसंचार (Telecom) के नाम पर सिर्फ सरकारी कंपनियां ही थीं और प्राइवेट सेक्टर लगभग न के बराबर था, तब सुनील मित्तल ने airtelbank.com और airtelgprs.com जैसे प्लेटफॉर्म्स से एक नई क्रांति की शुरुआत की।
Biography of Sunil Mittal in Hindi
प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि
सुनील मित्तल का जन्म 23 अक्टूबर 1957 को पंजाब में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता एक राजनेता थे, इसलिए कई लोगों को लगता है कि सुनील की ज़िंदगी आसान रही होगी। लेकिन असल में, सुनील मित्तल ने अपना रास्ता खुद चुना और कभी भी अपने पारिवारिक राजनीतिक बैकग्राउंड का लाभ नहीं उठाया। उनका सपना था – एक सफल व्यवसायी बनना, न कि राजनीतिज्ञ।
बिजनेस की शुरुआत: 18 साल की उम्र में
1976 में पंजाब यूनिवर्सिटी से स्नातक करने के बाद, मात्र 18 साल की उम्र में सुनील मित्तल ने अपने पहले बिजनेस की शुरुआत की। उन्होंने ₹20,000 उधार लेकर साइकल के पार्ट्स बेचने का काम शुरू किया। इस व्यवसाय की शुरुआत छोटे स्तर पर हुई और उन्हें ना मार्केट की जानकारी थी, ना ही किसी तरह का अनुभव।
शुरुआत में बहुत मुश्किलें आईं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। धीरे-धीरे उन्हें इंडस्ट्री की बारीकियां समझ में आने लगीं। परंतु एक समय के बाद उन्हें यह समझ आया कि इसमें मुनाफे की सीमित संभावनाएं हैं। इसीलिए उन्होंने इस व्यापार को छोड़कर दूसरे आइडिया पर काम करना शुरू किया।
जनरेटर का व्यापार और पहला ब्रेक
1980 में सुनील मित्तल को एक बड़ा ब्रेक मिला जब उन्होंने जापान की कंपनी सुजुकी के साथ पार्टनरशिप कर पोर्टेबल जनरेटर भारत में इंपोर्ट करने शुरू किए। शुरुआत में ये जनरेटर सड़कों के किनारे खाने-पीने की दुकानों को लक्षित करके बेचे जाते थे, लेकिन जल्द ही उन्हें समझ आया कि असली ज़रूरत छोटे दुकानदारों और ऑफिस वालों की है।
इस बदलाव की वजह से व्यापार में तेजी आई। लेकिन तभी भारत सरकार ने जनरेटर के आयात पर रोक लगा दी जिससे मित्तल का व्यापार एक झटके में बंद हो गया।
पुश बटन टेलीफोन का क्रांतिकारी विचार
कुछ समय तक बेरोजगार रहने के बाद, सुनील मित्तल ताइवान गए, जहां उन्होंने पहली बार पुश बटन फोन देखे। उस समय भारत में सिर्फ रोटरी डायल फोन प्रचलित थे। उन्होंने तय कर लिया कि वह इस नई तकनीक को भारत में लाएंगे।
1984 में उन्होंने ताइवान की कंपनी Kingtel से पार्टनरशिप कर पुश बटन टेलीफोन को भारत में असेंबल करना शुरू किया। इसकी लोकप्रियता इतनी तेजी से बढ़ी कि उन्होंने जल्द ही खुद की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित की – भारतीय टेलीकॉम लिमिटेड (BTL)। फिर उन्होंने जर्मनी की कंपनी Siemens के साथ मिलकर भारत में टेलीफोन उत्पादन शुरू किया।
Beetel: 90 के दशक का टेलीफोन किंग
1990 तक मित्तल ने फैक्स मशीन, कॉर्डलेस फोन और अन्य टेलीकॉम उपकरण भी बनाना शुरू कर दिया। उनके उत्पाद “Beetel” ब्रांड के अंतर्गत बेहद लोकप्रिय हुए। भारत के हर घर में “Beetel” टेलीफोन होना एक आम बात थी।
1992: जीवन का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट
1992 में भारत सरकार ने मोबाइल टेलीफोन के लिए प्राइवेट प्लेयर्स को आमंत्रित किया। मित्तल ने तय कर लिया कि वह इसमें जरूर उतरेंगे। लेकिन सरकार की एक शर्त थी – सिर्फ उन्हीं कंपनियों को लाइसेंस मिलेगा जिनके पास टेलीकॉम ऑपरेटर का अनुभव हो।
इस बाधा को पार करने के लिए उन्होंने फ्रांस की टेलीकॉम कंपनी Vivendi से साझेदारी कर ली। इसके बाद 1995 में भारतीय सेल्युलर लिमिटेड (BCL) की स्थापना हुई, और 1997 में airtelbank.com ब्रांड लॉन्च हुआ।
Airtel की सफलता और चुनौतियाँ
शुरुआत में मित्तल को बहुत सी वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ा। बैंक और निवेशक कंपनी में पैसा लगाने को तैयार नहीं थे। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आखिरकार फंड जुटा लिया।
इसके बाद Airtel ने भारत में तेजी से मोबाइल टावर स्थापित किए। 1999 में J.T. Holdings और 2000 में Chennai-based Skycell Communications का अधिग्रहण कर उन्होंने दक्षिण भारत में भी अपने पांव जमा लिए।
भारतीय फाउंडेशन: एक समाज सेवा पहल
सिर्फ कारोबारी लाभ नहीं, मित्तल मानते हैं कि एक सफल बिजनेसमैन को समाज के लिए भी योगदान देना चाहिए। इसी उद्देश्य से उन्होंने 2000 में Bharti Foundation की स्थापना की, जो ग्रामीण भारत में शिक्षा को बढ़ावा देने का कार्य करती है।
Airtel vs BSNL: टेक्नोलॉजी की लड़ाई
जहां BSNL सरकारी होने के कारण धीमे फैसले ले रही थी, वहीं मित्तल ने तेजी से अपने नेटवर्क को अपग्रेड करना शुरू कर दिया। airtelhellotunes.in, airtelgprs.com और airtel.tv जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म ने Airtel को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
इसके बाद Airtel को BSE और NSE पर लिस्ट किया गया, जिससे कंपनी को पूंजी जुटाने में भी आसानी हुई।
अंतरराष्ट्रीय विस्तार और 4G लॉन्च
2010 में Airtel ने अफ्रीका की Zain Telecom के ऑपरेशन्स को $10.7 बिलियन में अधिग्रहित कर इंटरनेशनल मार्केट में कदम रखा। यह एक बड़ा रिस्क था क्योंकि अफ्रीका का मार्केट इंडिया से बिल्कुल अलग था, लेकिन मित्तल की रणनीति वहां भी काम कर गई।
2012 में Airtel ने भारत में सबसे पहले 4G सर्विस लॉन्च की, जबकि BSNL अभी भी योजना बना रहा था। टेक्नोलॉजी में अग्रणी रहने का यही मित्तल का मंत्र था।
Jio की चुनौती और Airtel की रणनीति
2016 में जब Jio ने free unlimited 4G data और कॉलिंग ऑफर के साथ टेलीकॉम सेक्टर में धमाका किया, तो लगभग 12 कंपनियां बाजार से बाहर हो गईं। लेकिन Airtel टिक गई, क्योंकि सुनील मित्तल ने समय रहते स्पेक्ट्रम खरीदना और नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करना शुरू कर दिया था।
Airtel का डिजिटल इकोसिस्टम
2018 से लेकर 2020 तक Airtel ने एक मजबूत डिजिटल इकोसिस्टम तैयार किया – airtelxtream.in, airtelbank.com, और airtel.tv जैसे प्लेटफॉर्म्स की मदद से उन्होंने अपने सक्रिय ग्राहकों को वैल्यू देना शुरू किया।
प्रेरणास्पद नेतृत्व
सुनील मित्तल की कहानी इस बात का प्रमाण है कि असफलताएं केवल आगे बढ़ने की सीढ़ी होती हैं। उन्होंने न सिर्फ एक सफल कंपनी खड़ी की, बल्कि भारत की टेलीकॉम इंडस्ट्री को नई दिशा दी।
आज Airtel न सिर्फ भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक बड़ा नाम है – और इसके पीछे सिर्फ एक नाम है: Sunil Bharti Mittal।