Indian Railways Business Model : 2 Crore Passengers/Day इंडियन रेलवे मतलब भारत की लाइफ लाइन विश्व का चौथा सबसे बड़ा रेल पार्क जो फैला हुआ है 68,000 कि.मी में जहां रोज 25,000 ट्रेन चलती है और 2 करोड़ यात्री सफर करते हैं ये इंडियन आर्मी के बाद देश में सबसे ज्यादा नौकरी देने वाला संगठन है इसमें काम करते हैं 14 लाख लोग ये विश्व का सातवां सबसे बड़ा नौकरी देने वाला संगठन है पर इतनी बड़ी ऑर्गेनाइजेशन होने के बाद यह हमेशा लॉस में क्यों रहती है इंडियन रेलवे कितना पैसा कमाती है और कहां-कहां से कमाती है एक इंफॉर्मेशन आपको दे दूं पैसेंजर के टिकट से पार नहीं पड़ती तो ज्यादा कमाई कहां से आती है वो डिटेल में जानेंगे तो यह पैसा आता कहां से है यह पैसा जाता कहां पे है सबसे मोटा खर्चा कौन सा है कितने लोग बिना टिकट यात्रा करते हैं और कितना पैसा यह जमा केसरी लोगों की सफाई में निकल जाता है इंडिया में ट्रेन लेट क्यों होती है इंडिया में ट्रेन कैंसिल क्यों होती है यह 72 के कोच में 172 आदमी क्यों घुस जाते हैं इंडियन रेलवे हमको अंग्रेज देके गए थे हमने जीरो से खड़ी की है इंडियन रेलवे में आखिर समस्या क्या है और सरकार उस पे क्या एक्शन ले रही है इंडियन रेलवे का पास्ट प्रेजेंट और फ्यूचर सब डिस्कस करेंगे इस में Indian Railways Business Model सबसे पहले बात करते हैं इंडियन रेलवे की हिस्ट्री की कि ये चालू कैसे हुई और ये सेक्शन मैं सिर्फ उन लोगों के लिए रख रहा हूं जो ये कहते हैं कि अंग्रेज भैया हमें रेलवे देके गए थे आप ध्यान से सुनो ब्रिटिश ने रेलवे बनाई थी दो कारणों से पहला चोर लोग तो थे ही इंडिया से सामान चुरा के लंदन लेके जाना था तो कैसे लेके जाएंगे भारत के कोने कोने से तो रेल लगाई खुद के फायदे के लिए तो इंडिया में सबसे पहले चली थी फ्रेट ट्रेन इसके बारे में सोचा था 1832 में और पहली ट्रेन चली 1837 में ग्रेनाइट को ट्रांसपोर्ट करने के लिए फिर इंडिया में भाई साहब खुद का मूवमेंट खुद को इधर-उधर जाना पड़े और कल को कोई पंगा हो जाए तो भाई साहब देश से भी भागना पड़े तो ट्रेनें चलाई पैसेंजर ट्रेन कि भाई साहब हम पोर्ट तक पहुंच सके और वहां से लंदन भाग सके तो पहली पैसेंजर ट्रेन चली 16 अप्रैल 1853 को बोरीबंदर मुंबई से ठाणे तक इस ट्रेन में 14 बोगियां थी और 400 पैसेंजर थे इस रेलवे ट्रैक को बनाने के लिए जो स्टील आता था वह आता था ब्रिटिश स्टील से और उसके लिए पैसा जाता था भारत से यानी भारत के पैसे से ब्रिटिश स्टील को अमीर बनाया उसको प्रॉफिट कमाया और यहां पे ट्रैक बिछाया खुद के फायदे के लिए तो यह मत कहना अंग्रेज हमें दे गए थे दे गए थे इनकी चिंदीगिरी की बात सुनना जब वर्ल्ड वॉर हुआ इनको स्टील की जरूरत पड़ी यहां से ट्रैक उखाड़ के ले गए उसको पिघलवाया और वॉर में काम लिया जब 1947 में बंटवारा हुआ तो 40% हिस्सा चला गया पाकिस्तान और 60% रह गया हमारे पास और जो हमारे पास 60% था जो हमारी ट्रेनें वहां से आ रही थी वह जला-जला के भेज रहे थे तोड़फोड़ करके बेच रहे थे कई ऐसे जो कर्मचारी थे वापस वापस लौटे ही नहीं कईयों ने नौकरियां छोड़ दी तो कुल मिला के 47 के बाद जो रेलवे था बहुत थोड़ा सा हिस्सा था आधा पाकिस्तान में था जीरो से हमने डेवलप किया है इसलिए यह है भारतीय रेलवे अब बात करते हैं इंडियन रेलवे कितना बड़ा है भाई साहब तो एज ऑन 2024 में बात करें तो जो ऑपरेशनल रूट है वो है 68000 कि.मी का और टोटल ट्रैक की लंबाई देखें तो वो है 13,35,000 कि.मी और आज की डेट में 12 से 14 कि.मी ट्रैक पर डे स्पीड से बन रहा है 2023-24 में बात करें 13,198 ट्रेन डेली ऑपरेट कर रही थी और 7325 स्टेशनों से गुजर रही थी और 2023-24 में टोटल भारतीय रेल में 690 करोड़ यात्रियों ने ट्रैवल किया 2023-24 में इन्हने 11,724 फ्रेट की ट्रेनें भी चलाई जो कि मालगाड़ी है और 158 करोड़ टन माल इधर से उधर लेके गए एज ऑन 31 मार्च 2024 की अपन बात करें तो इंडियन रेलवे के पास 3,27,991 मालगाड़ी की बोगियां है और 91,948 पैसेंजर बोगियां है अब बात करते हैं इंडियन रेलवे टोटल कितना पैसा कमाती है कहां-कहां से कमाती है और मोस्टेंट यह लॉस में क्यों रहती है तो सबसे पहले बात करें इंडियन रेलवे का टोटल रेवेन्यू है ₹2,78,500 करोड़ आप बोलोगे सर यह तो बहुत तगड़ा वाला रेवेन्यू है इसमें पैसेंजर के टिकट से कितने रुपए आते हैं मात्र ₹80,000 करोड़ यानी टोटल रेवेन्यू का मात्र 28% तो बोले सर अगर पैसेंजर से 28% ही आता है तो बाकी 72 कहां से आया सर बाकी 72 में सबसे बड़ा फिगर है फ्रेट रेवेन्यू जो मालगाड़ी का भाड़ा आता है वो है ₹1,80,000 करोड़ यानी पैसेंजर से 1 लाख करोड़ ज्यादा और टोटल रेवेन्यू का 65% और इस 65% में अगर मैं बात करूं तो आधे से ज्यादा जो माल ट्रेवल होता है वो होता है कोयला सेकंड नंबर पे आता है सीमेंट फिर आता है आयरन ओर यानी ये जितने भी भारी माल पूरी मालगाड़ी की मालगाड़ियां भर के जाती है वहां से रेलवे मुख्य पैसा कमाता है इसके अलावा अदर इनकम से रेलवे कमाता है ₹18,500 करोड़ यानी टोटल रेवेन्यू का 7% अब अदर रेवेन्यू में क्या-क्या आता है बात करते हैं सबसे पहली बात अपन ने कवर किया कि जो बड़ा माल है जिसमें पूरी गाड़ी की गाड़ी बुक होती है वो तो फ्लैट रेवेन्यू में चला गया उसके अलावा छोटे-छोटे पार्सल भी तो होते हैं कोई डाक हो गया कोई इनविटेशन कार्ड हो गया या छोटे-मोटे पैकेज एमएसएमई के हो गए ये वाले जो पैकेज हैं इससे भी रेलवे इनकम करता है मोटरसाइकिल का ट्रेवल इधर-उधर होता है काफी रेलवे में आप ऐड देखते हैं कि कुछ ट्रेन पे ऐड है कुछ प्लेटफार्म पे ऐड है उस ऐड से पैसे कमाता है रेलवे फिर जो प्लेटफार्म पे कैंटीन होती है उसके किराए से और जो खुद की कैंटीन है उसके ऑपरेशन से पैसे कमाता है फिर जो ट्रेन के अंदर पेंट्री होती है उससे पैसे कमाता है फिर रेलवे के पास बहुत सारी लैंड है उसमें से कुछ लैंड कुछ किराए पे देता है उससे पैसे कमाता है कुछ पर्टिकुलर पर्पस के लिए रेलवे अपनी बोगियां भी किराए पे देता है जैसे मान लो मूवी की शूटिंग के लिए दी उसका किराया या मान लो किसी प्राइवेट बिजनेसमैन ने एक दिन 2 दिन के लिए कहा कि भई आपकी मालगाड़ी का कोई ट्रैक चाहिए था 2 दिन के लिए वो भी मिलता है उसका भी किराया लेता है उसके अलावा बहुत सारी टूरिस्ट ट्रेन ये चलाता है जैसे महाराजा एक्सप्रेस है ओडीसी एक्सप्रेस है पैलेस ऑन व्हील है इनका जो पैसा आता है वो भी इधर रेवेन्यू में आता है उसके अलावा जो आप टिकट बुक करते टाइम कन्वीनिएंस फीस देते हो वो भी रेलवे की रेवेन्यू है तो कुल मिला के इतनी सारी चीजों से रेलवे पैसे कमाता है ₹2,78,500 करोड़ कमाता है फिर भी लॉस में क्यों हैं तो भैया यह बात तो हुई कमाई की अब आते हैं खर्चे पे मेरे दोस्त ₹5,000 करोड़ के होते हैं रूटीन खर्चे यानी जो 14 लाख आदमी अभी काम कर रहे हैं उनकी तनख्वाएं मेंटेनेंस जो माल भाड़ा जो रूटीन मेंटेनेंस लगता है वो है ₹25000 करोड़ इसके अलावा जो रिटायर हो गए जिनकी पेंशन जारी है वो जाती है ₹67000 करोड़ उसके अलावा डेप्रिसिएशन में ₹1000 करोड़ और इसके अलावा अदर खर्चे ₹2,700 करोड़ के एक छोटा सा फिगर देता हूं आपका दिमाग थोड़ा सा घूम जाएगा ₹1200 करोड़ हर साल रेलवे खर्च करता है गुटके से जो रंगोलियां बना के आते हो ना इसको साफ करने में ₹1200 करोड़ कितना होता है आप इसको ऐसे समझो 120 करोड़ में एक वंदे भारत बनती है यानी जितने पैसे में 10 वंदे भारत बनती है उतने में तो भाई साहब एक गुटखा साफ हो रहा है इसरो ने मंगलयान ₹450 करोड़ में बेच दिया था यानी जितने में गुटखे की सफाई होती है ना तीन बार मंगलयान भेज दे इसरो सोचो कैसे गुटिए लोग हैं ये गुटिए मतलब गुटखा खाने वाले यह टोटल खर्चा हुआ ₹275700 करोड़ अब भैया 2 78 तो कमाए थे 75 तो लग गए तो जो नेट सरप्लस यहां पे बचता है वो बचता है ₹2800 करोड़ आप बोलोगे राहुल जी ये तो 2800 करोड़ का प्रॉफिट हो गया नहीं भाई साहब यह तो रूटीन चला है नए ट्रैक कैसे बिछाओगे नई गाड़ियां कैसे बनाओगे और सुविधा कैसे करोगे और प्लेटफार्म कैसे बनाओगे उसका क्या होगा भाई रेलवे का ऑपरेटिंग रेशियो है 98.22% यानी ₹100 कमाता है ₹98.22 पैसे तो उसके संचालन में ही चले जाते हैं बचता कछु ना है और इन गुटखा खाने वालों के अलावा कुछ लूट मचाने वाले भी लोग हैं कोई तकिया चुराता है कोई बेडशीट चुराता है कोई ट्रेन की खिड़की तोड़ के भाग जाता है और कई तो बिना टिकट यात्रा करते हैं यह जो खर्चा है भैया ये भी तो भुगतना पड़ता है और एक छोटा सा आपको एक फिगर बताता हूं आपको क्या लगता है पिछले साल कितने ऐसे लोग होंगे जो कि बिना टिकट यात्रा करते हुए पकड़े गए कितने कर रहे हैं उसको तो भूल जाओ पकड़े गए कितने एक गेस रियल फिगर है 2 करोड़ 16 लाख लोग बिना टिकट यात्रा करते ऑफिशियली पकड़े गए अब कितने सेटिंग करके बच गए और कितने तो आए ही नहीं पकड़ में वो संख्या लगा लो और अब बताओ रेलवे लॉस में क्यों है अगर इतना लॉस हो रहा है तो नए ट्रैक कैसे बन रहे हैं नई रेलवे कैसे बन रही है नई कोच कैसे बन रहे हैं यह मॉडर्नाइजेशन कैसे हो रहा है स्टेशन कैसे बन रहे हैं इसके लिए भैया दे रही है केंद्र सरकार पैसा कहां से आपसे टैक्स के पैसे लेके पिछले साल केंद्र सरकार ने रेलवे को अलॉट किए ₹2,52,000 करोड़ तो जब आप यह कहते हो ना अरे सर महंगाई बढ़ रही है टैक्स बढ़ गया जीएसटी बढ़ गया सब चीजें महंगी वो जीएसटी सरकार इसलिए लगा रही है वो गुटखे के दाग साफ करने हैं ना उनको वो खिड़कियां ठीक करानी है वो बे टिकट यात्रियों को कुछ करना है रजाई के अड्डे की जो भरपाई कर रहे हैं ये इनकी भरपाई का पैसा आप ही के टैक्स से कट रहा है आपको लग रहा है मैं इनकम टैक्स तो देता ही नहीं मैं बच गया अजी जीएसटी तो देते हो बस वहीं से आ रहा है यह तो बात हुई है रेलवे लॉस में क्यों है अब बात करते हैं ये रेलवे में ट्रेनें लेट क्यों होती है कैंसिल क्यों होती है बहुत सारे कारण हैं पहला कारण तो बहुत बेसिक भाई भारत में तो पॉपुलेशन इतनी है हर साल यात्री बार बढ़ता जा रहा है और उस यात्री बार की तुलना में ना ट्रेन बढ़ रही है ना ट्रैक बढ़ रहा है आप बोले सर ट्रेन बनने में क्या ट्रेन तो फटाफट बना दो खूब पैसा नहीं खूब पैसा बजट से आ जाएगा खूब ट्रेनें बन भी जाएगी लेकिन चलेगी कहां पे भैया गाड़ी एक्स्ट्रा लगा दूंगा पर रोड ही नहीं है तो क्या करोगे तो भाई साहब ट्रेन खूब बन रही है कोच खूब बन रहे हैं लेकिन ट्रैक ही नहीं बिछ रहा उस स्पीड से तो जब ट्रैक लिमिटेड है तो अगर किसी विशेष ट्रैक पे विशेष आयोजन के चक्कर में अगर बहुत भीड़ हो गई तो बाकी ट्रैक के संचालन में असर आता है जैसे होली दिवाली के टाइम पे भाई साहब एक्स्ट्रा प्रेशर है तो कुछ रूट पे एक्स्ट्रा लोग आते हैं तो उसके चक्कर में कुछ रूट की ट्रेनें या तो लेट होगी या अटकेगी अभी कुछ समय पहले भारत में बिजली संकट आया था तो उसके लिए भैया बिजली घर में कोयला पहुंचाना जरूरी था तो उस समय रेलवे ने सारे संचालन को रद्द करके फ्लैट ट्रेन चलाई खूब सारी ताकि कोयला पहुंचे तो फ्रेट ट्रेन जितनी चलेगी है तो ट्रैक वही तो फिर पैसेंजर ट्रेन कैंसिल होगी तो जब भी कोई विशेष कारण आता है वह लिमिटेड ट्रैक के चक्कर में यह ट्रेनों का कैंसिलेशन और डिले बढ़ता जाता है डिले होने का एक और कारण है कि भैया हमने ट्रेन तो बना दी स्पीड वाली लेकिन भाई साहब ट्रैक होगा उसी हिसाब से तो चलेगी अब एग्जांपल समझो वंदे भारत की जो टॉप स्पीड है वो है 180 कि.मी लेकिन वंदे भारत की जो एवरेज स्पीड देखी गई है संचालन में वो 90 कि.मी से ज्यादा चलती नहीं है उसकी टॉप स्पीड किसी किसी रूट पे 130 कि.मी गई है उससे ऊपर जाती नहीं है क्योंकि ट्रैक ही सपोर्ट नहीं करते ट्रेन के डिब्बे में भीड़ क्यों बढ़ती जा रही है 72 के कोच में 172 क्यों आ गए क्योंकि धीरे-धीरे भारतीय रेलवे कह रहा है थोड़ा सा प्रॉफिट तो अब भी बना लें रेलवे अपनी प्रॉफिटेबिलिटी बढ़ाने के लिए स्लीपर के डब्बे बढ़ा रहा है एसी के डब्बे बढ़ा रहा है और जनरल के डब्बे कम कर रहा है तो जहां नॉर्मल ट्रेन में कई ऐसी ट्रेन है जहां चार जनरल के डब्बे करते थे अब बस दो ही डब्बे हैं तो जो भीड़ चार में जानी थी वो अब दो में जाएगी तो भैया भीड़ दो आएगी तो अब वीडियो कंक्लूड करते हैं इस बात को लेके कि अब रेलवे इन कमियों को दूर करने के लिए आखिर कर क्या रहा है कैसे प्रॉफिटेबल आने की बात कर रहा है कैसे सुविधाओं को सुधार रहा है रेलवे ने डिसाइड किया फ्यूल एफिशिएंसी बहुत ज्यादा जरूरी है तो जो पहले चलते थे भाई साहब आपके डीजल से डब्बे अब उन्होंने कहा भैया इसको इलेक्ट्रिकेशन करो और इस समय तक 95% से जितना रेलवे ट्रैक इलेक्ट्रिफाई हो चुका है और उससे करोड़ों की सेविंग रेलवे को होने लग गई है डेली 14 से 15 कि.मी ट्रैक ऐड हो रहा है जिससे कैंसिलेशन कम हो डिले कम हो पुराने ट्रैक को मॉडर्नाइज किया जा रहा है ताकि रेलवे की स्पीड बढ़े डिले कम हो रेलवे मिनिस्टर का भी रिसेंट बयान था कि 14,000 जनरल कोच के डब्बे हम ऐड करने वाले हैं 1200 ऑलरेडी ऐड कर चुके हैं इनका टारगेट है कि जो पहले जनरल एसी और नॉन एसी का रेश्यो होता था उस रेश्यो को मेंटेन रखेंगे पिछले कुछ साल में जैसे एसी और स्लीपर के डिब्बे बढ़े अब उसी अनुपात में जनरल के डिब्बे भी बढ़ाए जाएंगे डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पे काम चल रहा है आज की डेट में जो गुड्स का ट्रांसपोर्ट होता है वो रोड के थ्रू होता है तो भाई साहब डिले भी होता है एक्सीडेंट भी होता है ट्रैफिक भी होता है अगर ये डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर बन गया और इसका 70% का आधा या चौथा या ट्रैफिक भी अगर रेलवे की तरफ आ गया तो रेलवे का प्रॉफिट बढ़ेगा रेलवे का रेवेन्यू बढ़ेगा और रोड में से ट्रैफिक हटेगा एक्सीडेंट कम होंगे और जो चीजें महंगी हो रही है वो थोड़ा कंट्रोल में आ जाएगी यानी इनके शिफ्ट होते ही रोड और रेलवे दोनों का फायदा यह तो काम रेलवे कर रही है कुछ मेरे सजेशंस हैं और मैं चाहूंगा कमेंट बॉक्स में हर व्यक्ति एक सजेशन अपने हिसाब से जरूर दें मेरा सजेशन कुछ ऐसे हैं पहली बात जो रेलवे के कुछ टास्क हैं जिसमें गवर्नमेंट को दिक्कत आ रही है उसको प्राइवेटाइज कर दूं जैसे कुछ ऐसे प्राइवेट रेलवे स्टेशन है जो प्राइवेट कंपनियां चला रही है आप वहां की सफाई देखो आप वहां पे सुविधा देखो आप वहां पे भीड़ का मैनेजमेंट देखो तो जैसे मान लो एंट्री गेट पे कौन घुसेगा वहां पे जो टेक्नोलॉजी लगाइए एआई का यूज़ कीजिए या टिकटिंग का सिस्टम प्राइवेटाइज कर दो वहां पे सिक्योरिटी का सिस्टम या साफ सफाई का सिस्टम जो भी चीज़ आप प्राइवेटाइज़ करोगे थोड़ी कॉस्ट बढ़ सकती है लेकिन सुविधा में नेक्स्ट लेवल का इंप्रूवमेंट आ जाएगा AI का उपयोग लो टेक्नोलॉजी का उपयोग लो एक चोर को आइडेंटिफाई करने के लिए या यह जो वेंडलाइजम कर रहे हैं जो खिड़की तोड़ के जा रहे हैं या चीजों को नुकसान पहुंचा रहे हैं इनको पकड़ो इनका रील बनाओ वीडियो बनाओ मीम बनाओ इनको नेशनल लेवल पे बेइज्जत करो और हर सिटीजन को अकाउंटेबल होना चाहिए ऐसा नहीं कि आपके बगल वाला थूक रहा है तो आपने कहा अपने को क्या अपनी संपत्ति थोड़ी है आपकी ही संपत्ति है रेलवे वाले चिल्ला-चिल्ला के कहते हैं रेलवे आप ही की संपत्ति है तो अगर किसी को थूकता हुआ देख रहे हैं किसी को कोई चीज चुराते हुए देख रहे हैं तो नजर ना फेरे उसको पकड़ लें अकाउंटेबल करें उसको सजा दिलाएं आपके सामने कोई सेटिंग करता पाया जाए बोले भाई पूरा टिकट देगा आप जगोगे तो भाई साहब रेलवे जगेगी बिना टिकट खुद मत जाओ और कोई जा रहा है सेटिंग कर रहा है तो करने मत दो अभी रेलवे में क्या-क्या सुधार की गुंजाइश है कुछ सजेशन मैंने दिए कुछ काम गवर्नमेंट कर रही है आप अपना सजेशन और अपनी समस्या जो भी है मंत्रालय तक पहुंचे भारतीय रेलवे तक पहुंचे | Indian Railways Business Model : 2 Crore Passengers/Day.