Big Brand from a Small Town – A ₹10 Bottle That Built a ₹300 Crore Company
Big Brand from a Small Town – A ₹10 Bottle That Built a ₹300 Crore Company दोस्तों Coca Cola और Pepsi जैसी कंपनी के सामने ना जाने कितने ब्रांड्स आए और चले गए लेकिन कोई भी इनकी मोनोपोली को नहीं तोड़ पाया फिर मैदान में उतरे तीन देसी लड़के जिन्होंने सोचा हम क्यों ना वो बेचे जो हमारे बड़े बुजुर्ग हमेशा से पीते आए हैं मतलब जीरा और नमक से बना वो देसी स्वाद जो भारत के हर घर में पसंद किया जाता है ना कोई सेलिब्रिटी फेस ना ही टीवी एड्स का शोर फिर भी खड़ा कर दिया एक ऐसा ब्रांड जो आज पूरे इंडिया पर राज कर रहा है जी हां हम बात कर रहे हैं लाहौरी जीरा की जिसके हर शिप के पीछे छिपी है संघर्ष की कहानी और हां आप शायद यह भी सोच रहे होंगे कि आखिर इसका लाहौर से क्या कनेक्शन है तो चलिए आपको सब कुछ शुरू से बताते हैं 2016 के एक शाम की तीन कजिंस सौरभ मुंजाल निखिल डोडा और सौरभ भोतना उर्फ सनी हर रोज की तरह कैजुअली मिले थे हाथ में कॉफी थी लेकिन दिमाग आईडिया से भरा हुआ था तीनों का बैकग्राउंड अलग-अलग था इंटरेस्ट भी टोटली अलग थे लेकिन एक चीज कॉमन थी कुछ अपना करना है वो भी बड़ा और फिर एक दिन एक ऐसी ही मुलाकात ने जन्म दिया एक देसी बेवरेज कंपनी को जिसकी वैल्यू आज कई सौ करोड़ है लेकिन एग्जैक्टली हुआ कैसे यह सब यह जानने से पहले हमें इन तीनों कजिंस के बारे में शॉर्ट में जान लेना चाहिए सबसे पहले बात करते हैं सौरभ मुंजाल की जिन्होंने अपनी एंटरप्रेन्योरल जर्नी काफी कम उम्र में ही शुरू कर दी थी 2012 में जब वह सिंगापुर से एमबीए कर रहे थे तो उन्होंने ट्रेड फाइनेंस में हाथ आजमाया और पता है वो वेंचर $5 मिलियन तक पहुंच गया वैसे तो यह काफी बड़ा अचीवमेंट था लेकिन दिल में कुछ अधूरा सा था इसीलिए सौरभ ने डिसाइड किया कि अब इंडिया वापस लौटना है और देश में ही कुछ करना है वापस आकर उन्होंने पंजाब में एक हाईवे रेस्टोरेंट शुरू किया जिसका नाम था हेरिटेज हवेली जो कि आज के टाइम पर एक प्रीमियम डेस्टिनेशन बन चुका है |
रेस्टोरेंट को चलाते-चलाते ही उन्हें रियल इंडिया की अंडरस्टैंडिंग मिली कि इंडिया के कस्टमर्स टेस्ट को महत्व देते हैं लेकिन खरीदते तभी हैं जब प्राइस उनके पॉकेट में फिट बैठे वहीं अगर बात करें सनी की तो यह वो इंसान थे जो सिर्फ बातें नहीं बल्कि सीधे मैदान में उतरते थे चाहे दुकानदार से बात करनी हो कस्टमर को कन्वेंस करना हो या फिर ग्राउंड लेवल पर किसी भी तरह का काम करना हो सनी इन चीजों में माहिर थे और उनकी सबसे बड़ी ताकत थी लोगों से कनेक्शन बना लेना तीसरे कजिन निखिल का बैकग्राउंड एग्रीकल्चर से था लेकिन दिल से वह फूडी थे |
उन्हें खाना बनाने का इतना शौक था कि हर हफ्ते कुछ ना कुछ एक्सपेरिमेंट करते रहते और फिर एक दिन ऐसे ही एक्सपेरिमेंट करते-करते उन्होंने एक देसी ड्रिंक बनाई जीरा फ्लेवर वाली जब उन्होंने खुद टेस्ट किया तो वो उन्हें बहुत अच्छी लगी और इसीलिए उन्होंने सोचा कि क्यों ना इसे भाइयों को भी टेस्ट करवाऊं शाम हुई तीनों कजन हमेशा की तरह मिले और निखिल ने बड़े कैजुअली कहा भाई इसे टेस्ट करके देखो जरा सौरभ मुंजाल ने जैसे ही पहला शिप लिया उनके मुंह से निकला वाह भाई इसे तो मार्केट में होना चाहिए वहीं सनी का भी मानना था कि इंडिया भले ही मॉडर्न हो गया हो लेकिन टेस्ट के मामले में आज भी पूरा देसी है |
और जहां हर कोई कोला और ऑरेंज सोडा बेच रहा है वहीं जीरा फ्लेवर वाली ड्रिंक्स की एक अलग ही डिमांड बन सकती है अब ऐसा भी नहीं था कि इंडिया में इससे पहले कोई भी जीरा ड्रिंक आई ही नहीं थी साल था 1977 का जब गवर्नमेंट रूल्स की वजह से कोका कोला इंडिया से बाहर चला गया था तब Parle ने एक जबरदस्त मसाला फ्लेवर डिंक मार्केट में लांच की थी नाम था रिमझिम एंड बिलीव मी उस टाइम रिमझिम काफी ज्यादा हिट हुई थी लेकिन जैसे ही Coca कोला इंडिया में दोबारा लौटा उसने Parle के सारे सॉफ्ट ड्रिंक ब्रांड्स खरीद लिए और रिमझिम को बंद कर दिया क्योंकि कोका कोला सिर्फ उन्हीं प्रोडक्ट्स में ही इन्वेस्ट करना चाहता था जिन्हें वह ग्लोबल लेवल पर बेच सके और यही रीजन था कि इंडिया में कोई भी बड़ा जीरा फ्लेवर ड्रिंक दोबारा उभर नहीं पाया हां बीच-बीच में कुछ रीजनल प्लेयर्स जरूर आए जैसे मुंबई का जीरो मसाला उड़ीसा का स्पाइस अप और कर्नाटका का बिंदु ज़ीरा लेकिन इनका दायरा सिर्फ अपने-अपने इलाकों तक सीमित रह गया नेशनल लेवल पर कोई नाम नहीं बना सका सौरभ और उनके कजिंस को यह बात क्लियर हो चुकी थी कि अगर हमने यह गैप नहीं भरा तो कोई और भर देगा और बस यही सोचकर उन्होंने लिया एक बोल्ड स्टेप मार्केट में जीरा फ्लेवर ड्रिंक लांच करने का उन्होंने डिसाइड किया कि इस ड्रिंक का टेस्ट तो होगा पूरी तरह से देसी लेकिन ब्रांडिंग होगी इंटरनेशनल लेवल की दमदार फ्रेश और ऐसी जिससे लोग कनेक्ट हो पाएं लेकिन दोस्तों प्रोडक्ट बनाना एक बात होती है पर उसे मार्केट और कस्टमर्स के दिल तक पहुंचाना एक अलग लेवल का चैलेंज होता है लेकिन यह तीनों भाई हार मानने वालों में से थोड़ी ना थे अपने विज़न को साथ 2017 में रखी गई आर्कियन फूड्स की नीव जो कि लाहौरी जिरा की पैरेंट कंपनी है ड्रिंक का फार्मूला तो रेडी था ही लेकिन अब बारी थी नाम सोचने की प्राइस डिसाइड करने की और सबसे इंपॉर्टेंट पैकेजिंग की काफी सोचने समझने के बाद उन्होंने अपने ड्रिंक का नाम रखा लाहौरी जीरा अब सवाल उठता है |
लाहौरी जीरा ही क्यों क्या यह ड्रिंक लाहौर से इंस्पायर्ड थी असल में इस ड्रिंक का मेन हीरो इंग्रेडिएंट था जीरा लेकिन एक और चीज थी जो कि इसे यूनिक बनाती थी रॉक साल्ट यानी सेना नमक जिसे कि लाहौरी नमक के नाम से भी जाना जाता है इसीलिए उन्होंने इस ड्रिंक का नाम लाहौरी जीरा रख दिया ताकि टेस्ट से लेकर नाम तक हर चीज में एक देसी टच दिखाई दे सके अब बात आती है प्राइस की तो उन्होंने इसका प्राइस रखा सिर्फ ₹10 ताकि टिए टू और टियर थ्री सिटीज में हर कोई इसे आसानी से खरीद सके इसके बाद से जब बारी आई ब्रांडिंग की तो उन्होंने देखा कि मार्केट में जो लोकल जीरा सोडा थे उनमें से ज्यादातर अनब्रांडेड थे और उन सब की पैकेजिंग लगभग एक जैसी ही थी यही वजह थी कि वह कभी भी एक मास ब्रांड नहीं बन पाए क्योंकि उनमें ना तो कोई यूनिक आइडेंटिटी थी और ना ही ऐसी विजिबिलिटी जो कि उन्हें बड़ी मार्केट तक ले जा सके लाहौरी जीरा ने इस गैप को समझा और अपने प्रोडक्ट को प्रीमियम दिखाने का फैसला किया भले ही उसका प्राइस सिर्फ ₹10 ही क्यों ना था उन्होंने अपने लेबल डिजाइनिंग में यूज किया ब्लैक और गोल्ड का प्रीमियम कॉम्बिनेशन फोंट और लोगो भी ऐसा चुना जो कि एक क्लासी लगे जिससे कि सेल्फ पर रखी बॉटल दूर से ही नजर आ जाए लेकिन दोस्तों एक सक्सेसफुल ब्रांड बनने के लिए सिर्फ अच्छा प्रोडक्ट अच्छा डिजाइन और कैची नाम ही काफी नहीं होता असली गेम तो वही शुरू होती है जब उस प्रोडक्ट को सही तरीके से मार्केट तक पहुंचाना होता है और फिर यह जिम्मेदारी दी गई सौरभ भूतना को जो कि ग्राउंड लेवल एक्सपर्ट थी अब जब सौरभ ने लुधियाना के एक बड़े डिस्ट्रीब्यूटर से बात की तो पहले तो सब कुछ नॉर्मल लगा लेकिन आखिरी मोमेंट पर डिस्ट्रीब्यूटर ने एक कंडीशन रख दी मैं एडवांस पेमेंट वेमेंट
नहीं दूंगा माल रख दो अगर बिक गया तो ठीक वरना वापस लेकर जाना अब यह बिल्कुल टिपिकल मार्केट बिहेवियर था जिसमें फंसकर कई सारे स्टार्टअप्स अपना भारी लॉस करा लेते हैं क्योंकि कैश फ्लो किसी भी बिजनेस की जान होती है और अगर पैसा मार्केट में फंस जाए तो फिर बिजनेस मुश्किल में पड़ सकता है ऐसे में लाहौरी जीरा के फाउंडर्स के पास में दो ऑप्शंस थे पहला कि यह डिस्ट्रीब्यूटर की शर्त मानकर माल भेजें और पेमेंट का इंतजार करें और दूसरा खुद रिटेलर्स और शॉपकीपर्स से डायरेक्ट कनेक्ट करें और अपने प्रोडक्ट को खुद मार्केट में पुश करें लाहौरी जिरा के फाउंडर्स ने दूसरा रास्ता चुना वो हर रिटेलर्स और दुकानदार से मिले उन्हें सैंपल दिया साथ में ड्रिंक टेस्ट भी कराई इससे उन्हें कई तरह के फीडबैक्स मिले जैसे कि किसी ने कहा कि कलर डल लग रहा है किसी ने कहा स्वीटनेस बैलेंस नहीं है तो फिर किसी को ड्रिंक में फेस कम लग रही थी तीनों फाउंडर्स इन सभी फीडबैक्स को नोट करते रहते और फिर हर रोज रात को बैठकर एनालाइज करते कि अपने फार्मूला में क्या चेंजेस किए जाएं इस तरह हर एक फीडबैक को सुनते समझते इंप्रूव करते गए जिससे कि लाहौरी जिरा का टेस्ट और भी बेहतर होता चला गया रिटेलर्स को भी यह समझ आ गया था |
कि यह ड्रिंक तो मार्केट में चलने वाली है इसीलिए अब वह खुद ही इसे कस्टमर्स को रिकमेंड करने लगे और दोस्तों जब दुकानदार ही पुश करने लगे तो फिर धीरे-धीरे यह देसी मसालेदार ड्रिंक कस्टमर्स के दिल से कनेक्ट हो गई और फिर एक दिन वही डिस्ट्रीब्यूटर जिसने पहले एडवांस देने से मना किया था अब खुद कॉल करके बोला भाई आर्डर भेज दो इस बार एडवांस के साथ में शुरुआत में लाहौरी जीरा ने एक स्मार्ट मूव लिया या कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग मतलब प्रोडक्ट तो उनका ही था लेकिन उसे वह बनवा रहे थे एक थर्ड पार्टी मैन्युफैक्चरर से अर्ली स्टेज पर यही स्ट्रेटजी काफी काम आई क्योंकि उनका पूरा फोकस था सिर्फ तीन चीजों पर टेस्ट ब्रांडिंग और डिस्ट्रीब्यूशन मशीन सेटअप पर टाइम और पैसे इन्वेस्ट करने की बजाय उन्होंने मार्केट डिमांड पर फोकस किया लेकिन जैसे-जैसे ऑर्डर्स बढ़ने लगे वैसे ही वैसे कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग से काम चलना मुश्किल हो गया ऐसे में फाउंडर्स को लगा कि अब उन्हें अपना खुद का प्लांट लगा ही लेना चाहिए लेकिन यह इतना आसान नहीं था सबसे पहले तो जमीन चाहिए थी वो भी सही लोकेशन पर फिर पोलशन कंट्रोल से लेकर एफएसएसआई तक हर तरह के कंप्लायंसेस और पेपर वक्स अब यह सब भी कहीं ना कहीं तो हो ही जाता लेकिन मेन प्रॉब्लम थी इन स्टेप्स को पूरा करने के बाद से फिलिंग लाइंस बॉटल ब्लोइंग मशीन कैपिंग सिस्टम और लेबलिंग यूनिट जैसे मशीनंस को सेटअप करने की क्योंकि इसमें बहुत सारा पैसा लगने वाला था और इतने पैसे उस टाइम उनके पास में थे नहीं इसीलिए उन्होंने अपने फैमिली और फ्रेंड से लोन लिया प्रॉपर्टी को गिरवी रखा और यहां तक कि कुछ फर्नीचर्स भी बेच डाले और फिर इस तरह काफी कठिनाइयों के बाद पंजाब के रोपार में उन्होंने अपना पहला मैन्युफैक्चरिंग सेटअप खड़ा किया जिसकी कैपेसिटी थी 96,000 बॉटल्स पर डे की शुरुआत में तो यह काफी लगा लेकिन जैसे-जैसे मार्केट में टेस्ट वायरल हुआ डिमांड इतनी तेजी से बढ़ी कि यह कैपेसिटी भी कम पड़ गई और तब लाहौरी जीरा ने अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को स्केल अप करके 1.2 मिलियन यानी कि 12 लाख बॉटल्स पर डे तक बढ़ा दिया जिसका सीधा असर कंपनी की ग्रोथ पर पड़ा और फाइनेंशियल ईयर 2021 में उनका रेवेन्यू पिछले साल के 5 करोड़ से बढ़कर ₹80 करोड़ पहुंच गया लेकिन जैसे-जैसे सब कुछ सेट होता हुआ दिख रहा था वैसे ही अचानक एक झटका लगा साल 2021 में सरकार ने कार्बोनेटेड ड्रिंक्स पर टैक्स बढ़ा दिया सीधा 40% तक 28% जीएसटी और 12% कंपनसेशन सेस लाहौरी जीरा के लिए यह एक बहुत बड़ा झटका था क्योंकि पहले से ही उनका प्रॉफिट मार्जिन बहुत कम था |
कंपनी ने भी अपने ड्रिंक का प्राइस काफी सोच समझ कर रखा था क्योंकि उन्हें पता था कि प्राइिंग स्ट्रेटजी के दम पर ही मार्केट में अपनी जगह बनाई जा सकती है इसीलिए जहां जीरो मसाला ₹20 में मिल रहा था बिंदु जीरा 12 और पेप्सी की 250 ml की बोतल ₹20 में वहां लाहौरी जीरा ने अपनी ₹250 ml की बोतल को सिर्फ ₹10 में लांच किया था ₹10 एक ऐसा प्राइस पॉइंट था जिसे छोटे शहरों के लोग आसानी से अफोर्ड कर सकते थे और इसी एग्रेसिव प्राइिंग की वजह से लाहौरी जीरा की सेल्स तेजी से बढ़ी थी लेकिन अब टैक्स बढ़ने के बाद इनके पास भी प्राइस बढ़ाने के अलावा और कोई ऑप्शन नहीं था अगर वह इसे ₹10 में ही बेचते तो उसमें से सीधा ₹4 टैक्स चला जाता बचते ₹6 जिसमें रिटेलर मार्जिन बॉटल कॉस्ट ट्रांसपोर्टेशन और मैन्युफैक्चरिंग सब कुछ कवर करना था जो कि इंपॉसिबल था पर साथ ही यह भी डर था कि कहीं प्राइस बढ़ाने के बाद से लोग लाहौरी जीरा को खरीदना ही बंद ना कर दें ऐसे में उन्होंने एक स्मार्ट मूव लेते हुए प्राइस में बदलाव ना करके बॉटल का साइज 250 ml से घटाकर 160 ml कर दिया ताकि सेम प्राइस ऑफर करके भी मार्जिन मेंटेन किया जा सके और उनका यह मूव वाकई काम कर गया और दोस्तों सबसे इंटरेस्टिंग बात तो यह थी कि यह ग्रोथ बिना किसी बड़ी फंडिंग या फिर बड़े इन्वेस्टर सपोर्ट के हो रही थी क्योंकि जहां बाकी स्टार्टअप्स भारी फंडिंग जुटाने और एग्रेसिव एक्सपेंशन के चक्कर में लॉस सह रहे थे वहीं लाहौरी जीरा अपनी स्मार्ट बिजनेस अप्रोच से चुपचाप प्रॉफिट कमा रहा था सौरभ मुंजाल की फिलॉसफी शुरू से ही क्रिस्टल क्लियर थी कि हम दूसरों की तरह ₹500 करोड़ जलाकर लाइमलाइट में नहीं रहना चाहते हमें ₹50 करोड़ ही कमाकर एक सस्टेनेबल बिजनेस बनना है सिंपल पावरफुल और ग्राउंडेड सोच उन्हें पता था इन्वेस्टर्स पैसे देते हैं तो फिर कंट्रोल भी लेते हैं |
लेकिन वह शुरुआती टाइम में किसी के भी टर्म पर नहीं चलना चाहते थे इसीलिए उन्होंने इनिशियल डेज में वीसी फंडिंग लेने से साफ मना कर दिया अब जब सेल्स तेजी से बढ़ने लगी तो लोग पूछने लगे टीवी एड्स कब आएंगे भाई किसी क्रिकेटर को ब्रांड एंबेसडर क्यों नहीं बनाते अब दोस्तों यही वो पॉइंट होता है जहां कई सारे स्टार्टअप्स करोड़ों खर्च कर देते हैं लेकिन सौरभ मुंजाल की सोच बिल्कुल अलग थी उनका सीधा जवाब था ऐड तभी काम करता है जब प्रोडक्ट हर जगह पर हो वरना लोग ऐड देखने के बाद से प्रोडक्ट ढूंढते ही रह जाएंगे और वह मिलेगा ही नहीं यानी पहले उपलब्धता और फिर एडवरटाइजिंग इसीलिए उन्होंने शुरुआत में मार्केटिंग पर ₹1 भी खर्च नहीं किया और दोस्तों इन्हीं स्ट्रेटजीस का ही नतीजा था कि 7 साल बाद जब लाहौरी जीरा का पहला मार्केटिंग कैंपेन लांच हुआ हर कोई पी रहा लाहौरी जीरा तो फिर वह तुरंत वायरल हो गया मसालेदार मजेदार हर कोई मीरा लाहौरी जीरा ना कोई सेलिब्रिटी ना कोई फ्लैसी फीस लेकिन फिर भी एडवर्टाइजमेंट था सुपरहिट अब शुरुआत में यह ड्रिंक सिर्फ पंजाब हरियाणा दिल्ली और यूपी तक ही सीमित था लेकिन 2022 में उन्होंने आठ और स्टेट्स में ट्रायल शुरू किया और आज के टाइम पर अगर देखें तो फिर 18 राज्यों में लाहौरी जीरा ने अपने स्ट्रांग पहचान बना ली है |
आज 2000 से ज्यादा डिस्ट्रीब्यूटर्स और 5 लाख रिटेल आउटलेट्स के जरिए लाहौरी जीरा तेजी से मार्केट को कैप्चर कर रहा है इसकी डिमांड इतनी स्पीड से बढ़ रही है कि कंपनी रोजाना 50 लाख बॉटल्स बना रही है फिर भी पीक सीजन में सप्लाई डिमांड के मुकाबले काफी कम पड़ जाती है आज की अगर बात करें तो लाहौरी जिरा की फाइनेंशियल ग्रोथ भी ठीक उसी स्पीड से बढ़ रही है जैसे कि उसकी डिमांड लाइक फाइनेंसियल ईयर 2021 में जहां इसका रेवेन्यू ₹80 करोड़ था वहीं फाइनेंसियल ईयर 2022 में यह बढ़कर ₹250 करोड़ तक पहुंच गया लेकिन दोस्तों यह तो बस अभी शुरुआत ही थी क्योंकि 2024 में कंपनी ने 300 करोड़ रेवेन्यू का भी माइलस्टोन पार कर लिया वह भी तीन गुना प्रॉफिट्स के साथ और अब कंपनी का अगला गोल है 2025 में ₹500 करोड़ का रेवेन्यू पार करना लास्ट में बस मैं यही कहना चाहता हूं तीन कजंस एक देसी आइडिया और जीरो मार्केटिंग बजट फिर भी आज लाहौरी जीरा हर दुकान हर गली में दिखता है क्योंकि जब प्रोडक्ट दिल से बना हो तो फिर वह सीधा कस्टमर्स के दिल तक ही पहुंचता है |Big Brand from a Small Town – A ₹10 Bottle That Built a ₹300 Crore Company .
Big Brand from a Small Town – A ₹10 Bottle That Built a ₹300 Crore Company