2025 में अमेरिका ने ईरान के न्यूक्लियर साइट्स पर हमला किया। जानिए क्या था ऑपरेशन राइजिंग लायन और इसका वैश्विक असर

2025 में अमेरिका ने ईरान के न्यूक्लियर साइट्स पर हमला किया
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अमेरिका ने ईरान पर न्यूक्लियर हमला किया – ऑपरेशन राइजिंग लायन की पूरी जानकारी (2025 अपडेट)

21 जून 2025 की रात को दुनिया की राजनीति में एक नया अध्याय जुड़ गया, जब अमेरिका ने अपने B-2 स्टेल्थ बॉम्बर्स से ईरान के गुप्त न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला किया। इस ऑपरेशन को “ऑपरेशन राइजिंग लायन” नाम दिया गया है। आइए इस हमले की पृष्ठभूमि, कारण, तकनीकी पहलू, वैश्विक प्रतिक्रिया और भारत पर असर की विस्तृत जानकारी लें।

ईरान के न्यूक्लियर कार्यक्रम की पृष्ठभूमि

  • ईरान 2003 से अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम पर काम कर रहा है।
  • 2015 में हुए Joint Comprehensive Plan of Action (JCPOA) के तहत उस पर कई प्रतिबंध हटाए गए थे।
  • 2020 के बाद, अमेरिका द्वारा JCPOA से हटने और नए प्रतिबंधों के चलते तनाव और बढ़ा।

अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट्स और ऑपरेशन की तैयारी

2024 के अंत तक, अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को यह जानकारी मिली कि ईरान ने जमीन के 300 मीटर नीचे एक गुप्त न्यूक्लियर फैसिलिटी तैयार की है, जो IAEA की पहुंच से बाहर है।

अमेरिका ने गुप्त रूप से इस फैसिलिटी की निगरानी शुरू की और जून 2025 में हमला करने का निर्णय लिया।

ऑपरेशन राइजिंग लायन: कैसे हुआ हमला?

  1. B-2 स्टेल्थ बॉम्बर्स ने कतर और यूएई के अमेरिकी बेस से उड़ान भरी।
  2. “Massive Ordnance Penetrator” नामक बंकर बस्टर बमों का प्रयोग किया गया, जो 60 मीटर गहराई तक मार कर सकते हैं।
  3. ईरान के नटांज़ और फोर्डो ठिकानों को प्रमुख निशाना बनाया गया।

तकनीकी पहलू: क्या था खास?

  • GPS-Guided बम जो सटीकता से नीचे तक पहुंच सके।
  • Radar-Evading Stealth Technology ताकि ईरानी एयर डिफेंस को भनक न लगे।
  • AI Assisted Targeting जिससे बम खुद ही सही स्थान पर गिरें।

ईरान की प्रतिक्रिया

ईरान ने हमले को “युद्ध की घोषणा” बताया और स्ट्रेट ऑफ हरमूज़ को बंद करने की धमकी दी।

इसके बाद तेल की कीमतों में 30% की बढ़ोतरी देखी गई और दुनियाभर के बाजारों में हलचल मच गई।

विश्व समुदाय की प्रतिक्रिया

  • रूस और चीन ने अमेरिका की कड़ी निंदा की और UNSC की बैठक बुलाई।
  • फ्रांस, जर्मनी ने संयम बरतने की अपील की।
  • इस्राइल ने अमेरिका का समर्थन किया।

भारत पर इसका प्रभाव

  • भारत कूटनीतिक दृष्टिकोण से तटस्थ रहा लेकिन तेल की कीमतों में वृद्धि से प्रभावित हुआ।
  • ईरान में रह रहे भारतीयों को निकालने के लिए “ऑपरेशन सुरक्षित” शुरू किया गया।
  • दक्षिण एशिया में भू-राजनीतिक संतुलन को भारत सावधानीपूर्वक देख रहा है।

क्या यह तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत है?

हालांकि यह सीमित हमला था, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि ईरान प्रतिशोध करता है तो मिडिल ईस्ट में बड़े युद्ध की स्थिति बन सकती है।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा युद्धविराम की मांग की जा रही है लेकिन अमेरिका अभी भी अपने रुख पर कायम है।

निष्कर्ष

ऑपरेशन राइजिंग लायन ने एक बार फिर यह दिखाया है कि न्यूक्लियर हथियारों की होड़ कितनी खतरनाक हो सकती है। अब देखना यह है कि दुनिया इस संकट से कैसे उबरती है और भारत जैसे देश अपनी रणनीति और ऊर्जा सुरक्षा को कैसे संभालते हैं।

आपकी राय क्या है?

क्या अमेरिका का हमला उचित था? क्या इससे विश्वयुद्ध की संभावना बढ़ गई है? कमेंट करें और अपनी राय साझा करें।

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